विवेक आर्य /वरिष्ठ पत्रकार मानवाधिकार मीडिया जिला झाँसी
मऊरानीपुर/झाँसी। झाँसी जिला के अंर्तगत मऊरानीपुर तहसील (जो भारत की सबसे बड़ी तहसील हैं।) की नगरपालिका मऊरानीपुर प्रशासन की कार्यप्रणाली की प्रशंसा जितनी भी की जा जाए शायद उतनी कम पड़ जाए। जी हाँ , नगरपालिका मऊरानीपुर प्रशासन द्वारा विगत लगभग छ: महीने पूर्व से सुखनई नदी में फैली हुई जलकुंभी को हटाकर , नदी को साफ करने का काम किया जा रहा हैं। पर जब से लेकर आज तक न तो जलकुंभी हटी और न ही सुखनई नदी साफ हुई , परन्तु नगरपालिका मऊरानीपुर द्वारा सरकारी राजस्व का प्रशासन द्वारा कितना सदुप्रयोग किया जा रहा है। यह बता पाना तो मुश्किल ही नही नामुमकिन होगा। वरन मऊरानीपुर की जनता व प्रशासनिक अधिकारियों की आँखों मे धूल झोंकने का काम नगरपालिका मऊरानीपुर द्वारा जरूर किया जा रहा हैं।

जी हाँ प्राप्त जानकारीयो के अनुसार नगरपालिका मऊरानीपुर प्रशासन पहले सौंदर्यता , विकास के नाम पर सरकारी राजस्व से करोड़ो रुपयों खर्च करके घाटों के निर्माण कर मऊरानीपुर के समस्त गन्दे नालो की मल,मूत्र,सड़ी-गली कचड़े से भरपूर गन्दगी को , (लगभग दस साल पहले सुखनई नदी का अस्तित्व व जलस्तर बढ़ाने के उद्देश्य से लाखों रुपया खर्च करके चैकडेम का निर्माण कर पानी को रोक दिया) उसी रुके हुए पानी मे समस्त नालो की गन्दगी को सुन्दरीकरण व विकास के नाम पर नदी में ही छोड़ दिया हैं। और अब उसी गन्दगी की सफाई के नाम सरकारी राजस्व का इस्तेमाल किया जा रहा हैं।
और सरकारी राजस्व का सदुप्रयोग मऊरानीपुर नगरपालिका प्रशासन द्वारा उसी आस्था , ऐतिहासिक सुखनई नदी को जो पूर्णत: बर्बाद , व दुखदायी बन गयी है। को लगातार लगभग छ: महीने से सफाई करने का काम किया जा रहा हैं ।

सुखनई नदी की तस्वीरें स्वयं अपने न्याय की गुहार लगा रही हैं। कि कब तक इस नर्क की गन्दगी से मुक्ति मिलेगी।