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बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ, आर्थिक समृद्धि की तरफ बढ़ाया कदम, सरकार की योजनाओं का मिला लाभ, आधुनिक तरीके से कर रहीं खेती

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Published on: 27-12-2023

FPO (फार्मर प्रोड्यूस ऑर्गेनाइजेशन) से जुड़कर गुड़ांबादा की महिला किसान हो रहीं स्वावलम्बी

जमशेदपुर (झारखंड)। गुड़ाबांदा प्रखंड के भालकी पंचायत में सुंड़गी गांव के मारेडीह टोला की महिला किसानों ने मिलकर ‘नय आड़े जल उपभोक्ता समूह’ नाम से संगठन बनाई और 5 एकड़ बंजर भूमि को अपने श्रमदान से खेती योग्य बना दिया। पहले जिस जमीन पर कोई फसल नहीं होता था आज वहां बैंगन के बाद अब मिर्च के पौधे लहलहा रहे हैं । संगठन से जुड़ी महिला किसान बाले मुर्मू, माही मुर्मू, पावरा मुर्मू, कंदरी मुर्मू, मेरी मुर्मू एवं सोनिया मुर्मू के प्रयास ने महिला सशक्तिकरण का मजबूत उदाहरण पेश किया है।

पारंपरिक खेती छोड़ तकनीक से बढ़ाया उत्पादन

महिला किसानों के सामने बड़ी चुनौती सिंचाई की थी । तकनीक का ज्यादा ज्ञान नहीं होने तथा बाजार की औसत जानकारी भी इनके राह में रोड़ा बनी । महिला किसानों के कुछ कर गुजरने की इच्छा को देखते इन्हें सरकार की योजनाओं से जोड़ा गया । सोलर पंपसेट के द्वारा पाइप लाइन के माध्यम से सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराई गई।

उसके बाद पहली बार इन्होने साढ़े चार(4.5) एकड़ जमीन में बैगन की खेती की । पहले साल के उत्पादन से प्रोत्साहित होकर इस बार अब साढ़े चार एकड़ जमीन में मिर्च की खेती इन महिलाओं ने किया। खेत की जानवरों से सुरक्षा के लिए झटका फेंसिंग घेराबंदी की व्यवस्था की गई ।

किसानों को दिखा रहीं नई राह, बनीं प्रेरणास्रोत

सरकार की योजनाओं के साथ-साथ इन महिला किसानों को NGO एवं FPO (घरोंज लहाती महिला उत्पादक प्रॉड्युसर कंपनी) का भी सहयोग प्राप्त हुआ । कृषि विभागीय पदाधिकारी एवं FPO ने इन महिला किसानों को तकनीक और उत्पादन क्षमता बढ़ाने में सहयोग की। जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कुमार कालिन्दी एवं जिला उद्यान पदाधिकारी अनिमा लकड़ा ने भी लगातार इन महिला किसानों का उत्साहवर्धन किया। अपने श्रम एवं इच्छाशक्ति के बल पर आज ये महिलाएं अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनीं हैं।

विषम परिस्थिति को कैसे अपने अनुकुल बनाकर अपने ही गांव-घर में रहकर परंपरागत खेती बाड़ी को आधुनिक तकनीक से करके अपनी आर्थिक स्थित को मजबूत किया जा सकता है, इस दिशा में महिला किसानों ने सशक्त उदाहरण पेश किया है।

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