लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों के निलंबन के विरोध में शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार पर तानाशाही के आरोप लगाए। राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप कर सांसदों का निलंबन वापस लेने की मांग की गई। विरोध प्रदर्शन में कांग्रेसियों के साथ सपा कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
राष्ट्रपति के नाम सौंपे ज्ञापन में कहा गया है कि लोकसभा व राज्यसभा में सांसदों ने संसद की सुरक्षा के मुद्दे को लेकर अपना विरोध जताया। केंद्र सरकार की ओर से सांसदों के सवालों का जवाब देने की बजाय तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया। केंद्र की भाजपा सरकार ने सांसदों की मांग को हंगामा करार देते हुए 150 सांसदों को निलंबित किया है, जो पूरी तरह असंवैधानिक है। प्रदर्शन के दौरान महिला कांग्रेस जिला अध्यक्ष पूनम जायसवाल ने कहा कि देश के लोग संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मामले की सच्चाई जानना चाहते हैं, लेकिन भाजपा सरकार पूरे मामले को हंगामा करार देकर जवाब देने से बच रही है। उन्होंने कहा कि लोकसभा व राज्यसभा के सांसदों का निलंबन कर लोकतंत्र की हत्या की गई है। मौके का फायदा उठाकर भाजपा ने दोनों सदनों में बिना किसी चर्चा के तीन बिल पास कर लिए। कांग्रेसियों ने राष्ट्रपति से देश में लोकतंत्र बचाने की मांग की है।
हम तानाशाही से डरने वाले नहीं
कांग्रेस जिला अध्यक्ष नवीन साहू ने कहा कि भाजपा देश में तानाशाही कर लोकतंत्र का गला घोंट रही है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री विपक्ष की आवाज को दबाना चाहते हैं, लेकिन हम लोग डरने वाले नहीं। अगर जल्द ही सांसदों का निलंबन रद्द नहीं किया गया तो कांग्रेस पार्टी देशभर में उग्र आंदोलन करेगी। इस दौरान सपा पदाधिकारी कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दिए। सपा ने भी सांसदों के निलंबन के विरोध में राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है।