*शमसुलहक खान की रिपोर्ट*
*बकरी पालन में स्वरोजगार की अपार सम्भावनायें!*
बस्ती – आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, बंजरिया, बस्ती द्वारा अटैªक्टिंग एण्ड रिटेनिंग यूथ इन एग्रीकल्च्र (आर्या) योजनान्तर्गत ‘‘बकरी पालन’’ विषय पर रोजगारपरक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। केन्द्राध्यक्ष डा0 एस0एन0 सिंह ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए अवगत कराया कि राष्ट्रपिता महात्मा गॉधी जी भी बकरी पालते थे और उसका दूध पीते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों की गाय के नाम से मशहूर बकरी हमेशा आजीविका के सुरक्षित श्रोत के रूप में पहचानी जाती रही है। बकरी छोटा पशु होने के कारण इसके रख-रखाव में लागत भी कम लगती है। सूखा पड़ने के दौरान भी इसके खाने का इन्तजाम सरलता से हो सकता है। इसकी देखभाल का कार्य महिलायें एवं बच्चे आसानी से कर सकते है। साथ ही जरूरत पड़ने पर इसे बेंचकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी आसानी से की जा सकती है। आज के परिवेश में बकरियों के मॉस एवं दूध की मॉग दिनो दिन बढ रही है तथा सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं की शुरूआत की जा रही है, जिसमें बकरी पालन पर 50 प्रतिशत तक सब्सीडी का लाभ प्राप्त करके, वेरोजगार नवयुवक स्वरोजगार के रूप में अपनाकर इसे अपनी आजीविका का साधन बना सकते है।
डा0 डी0के0 श्रीवास्तव, पशुपालन विशेषज्ञ ने अवगत कराया कि बकरी पालन कृषि की एकीकृत फसल प्रणाली (आई.एफ.एस.) माडल का अभिन्न अंग है जिसमें एक ही खेत में नवयुवक बकरी पालन, मछली पालन, मुर्गी पालन, सब्जी उत्पादन, बागवानी आदि करके वर्ष भर आय एवं स्वरोजगार प्राप्त कर सकते है। बकरी पालन मुख्यतयः मांस, दूध, बाल, खाल एवं खाद के लिए किया जाता है जिसे किसी भी वर्ग का कृषक आसानी से कर सकता है। उन्होने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षणार्थियों को बकरियों की प्रमुख नस्लें एवं उनका चयन, आवास व्यवस्था, आहार व्यवस्था, बकरियों में लगने वाले रोग एवं उपचार तथा टीकाकरण आदि की विस्तृत जानकारी प्रदान की जायेगी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में डा0 प्रेम शंकर, डा0 वी0बी0 सिंह, हरिओम मिश्र, आदित्य प्रताप सिंह, श्याम सुन्दर, मनीष कुमार, कौशलेन्द्र राव, प्रदीप, अर्जुन वर्मा, आदर्श सिंह, अभिषेक मिश्र आदि उपस्थित रहे।