महराजगंज/रायबरेली। हलषष्ठी व्रत रखने वाली महिला अनुपमा पाण्डेय ने बताया कि, व्रत रखने की अलग अलग परंपरा है। उत्तर प्रदेश में महिलाएं केवल बेटों के लिए व्रत रखती हैं, लेकिन कुछ प्रदेशों में बेटों के साथ-साथ बेटियों के लिए भी व्रत रखा जाता है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी का दिन सुहागिन महिलाओं के लिए सौगात लेकर आता है। वे संतान प्राप्ति तथा संतान के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घ जीवन की मनौती के लिए षष्ठी के दिन व्रत-उपवास व पूजा अर्चना करती हैं।
आपको बता दें कि, जमुरावां गांव की रहने वाली व्रती महिलाएं सत्यवती त्रिपाठी, प्रतिभा त्रिपाठी, सरोज त्रिपाठी, संतोष जायसवाल और महराजगंज कस्बे की रहने वाली रंजना त्रिपाठी, सीमा त्रिवेदी के अलावा मऊ गांव की रहने वाली कांती अवस्थी, सरिता अवस्थी ने बताया कि, आज हलषष्ठी के दिन उन सब ने सुबह स्नान करके व्रत का संकल्प लिया, इसके बाद पूरे विधि विधान के साथ पूजा की। उन्होंने बताया कि, मुख्यतः यह पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है। लेकिन विगत कुछ वर्षों से अन्य प्रदेशों में भी इस व्रत का प्रचलन तेजी से बढ़ा है।
महराजगंज क्षेत्र भर में महिलाओं के द्वारा हलषष्ठी पर विधि विधान से पूजन-अर्चन किया गया। रायबरेली में हलषष्ठी पर्व को “हरषठ” के नाम से जाना जाता है। हलषष्ठी व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि, हलषष्ठी का व्रत संतान की प्राप्ति और सुख-समृद्धि के लिए रखती है। व्रत की परंपरा अच्छी लगती है। वहीं नवविवाहित स्त्रियां भी संतान की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
ज्योना गांव की रहने वाली व्रती महिला जानकी देवी त्रिपाठी ने बताया कि, उन्होंने विधि-विधान से पूजा किया। घर के आंगन में गोबर से लीपकर चौका बनाया। उस पर हल और भगवान बलराम का प्रतीक बनाकर पूजा की, जिसकी परिक्रमा करके हल षष्ठी व्रत की कथा सुनी। पारंपरिक गीत गाया। संतान व घर-परिवार की सुख समृद्धि की कामना करी।
रिपोर्ट@पवन कुमार