महराजगंज, रायबरेली। कस्बे के हैदरगढ़ रोड पर स्थित महावीर स्टडी इस्टेट सीनियर सेकेंडरी कॉलेज महराजगंज में वाल्मीकि जयंती पर प्रधानाचार्य कमल वाजपेई के साथ सम्मानित अध्यापकों ने वाल्मीकि जी के चित्र पर माल्यार्पण, पुष्पांजलि अर्पित की। प्रार्थना सभा में प्रधानाचार्य ने बच्चों को बताया कि महर्षि वाल्मीकि का जन्म महर्षि कश्यप और अदिति के नवम, पुत्र वरुण और उनकी पत्नी चर्षणी के घर हुआ था। इनका नाम रत्नाकर रखा गया।
बाल्यावस्था में इन्हें जंगल में रहने वाले भील उठा ले गए जिससे इनका पालन पोषण कबीले के संस्कारों पर हुआ। बताते हैं यह जंगल के रास्ते जाने वाले लोगों से उनका धन आदि पकड़कर ले लेते थे। एक बार नारद जी के साथ सप्त ऋषि जंगल के रास्ते जा रहे थे। उन्हें रोककर उनसे कीमती वस्तुएं देने को कहा। नारद जी ने कहा कि मेरे पास जो बहुत कीमती चीज है क्या आप उसे ले सकते हैं।
रत्नाकर ने इन्हें पेड़ से बांध दिया तब नारद जी ने कहा कि आपके पाप कर्म के परिणाम स्वरूप जो मिलेगा क्या उसमें आपका परिवार भी भागीदार होगा। क्योंकि चुराए एवं लूटे गए धन का उपयोग आपका परिवार भी कर रहा है। रत्नाकर जी ने घर में जाकर पूछा तो सभी ने पाप लेने से मना कर दिया। तब रत्नाकर जी को पश्चाताप हुआ तथा नारद से उपाय पूछा।
नारद जी ने कहा कि मेरे पास अमूल्य वस्तु रामनाम है। रत्नाकर से रामनाम जप करने को कहा। इन्होंने घोर तपस्या की दीपक ने इनके शरीर पर बांबी बना लिया ईश्वर की प्रेरणा से इन्होंने महाकाव्य रामायण की रचना की। सभी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के, चरित्र से परिचित कराया। वन में सीता माता को वनवास के समय आश्रय दिया वही लवकुश का जन्म हुआ उनकी शिक्षा दीक्षा का प्रबंध किया।आप आदि कवि कहलाए। सभी को महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए। सभी को बाल्मीकि जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं दी।
इस अवसर पर उप प्रधानाचार्य राजीव मिश्रा, सौरभ श्रीवास्तव, सुरेंद्र प्रजापति, मंजू सिंह, सरिता मिश्रा, अनुपम सिंह, लक्ष्मी सिंह, राजकिशोर पाल, आदर्श शुक्ला, अभिषेक त्रिपाठी, शालिनी सिंह, जय सिंह, ज्योति जायसवाल, ज्योति सिंह, फातिमा, साधना सिंह, रुचि सिंह, गर्विता सिंह, दिलीप गुप्ता, आलोक यादव, सहित सभी शिक्षक/शिक्षिकाएं तथा समस्त स्टाफ मौजूद रहा।