बेंगलुरु में एक 38 वर्षीय महिला में एक ऐसा रक्त समूह पाया गया है जो पूरी दुनिया में बेहद दुर्लभ माना जाता है। इस ब्लड ग्रुप को ‘सीआरआईबी (CRIB)’ नाम दिया गया है, जिसमें ‘सी’ का मतलब है क्रोमर (Cromer) – जो 47 ज्ञात रक्त समूहों में से एक है, ‘आई’ का मतलब है इंडिया, और ‘बी’ का अर्थ है बेंगलुरु।
महिला की हार्ट सर्जरी के दौरान डॉक्टर्स को खून चढ़ाने की ज़रूरत पड़ सकती थी, लेकिन डॉक्टर इस ब्लड ग्रुप की पहचान नहीं कर सके थे। इस असमर्थता के कारण वे सामान्य प्रक्रिया के तहत खून का स्टॉक तैयार नहीं कर सके।
11 महीने तक इस ब्लड ग्रुप पर शोध करने के बाद पता चला कि यह एक नायाब समूह है जो भारत में पहले कभी नहीं देखा गया।
डॉ. अंकित माथुर, जो इस सर्जरी के मुख्य सर्जन थे, ने राहत की सांस लेते हुए बताया कि,
“हमें अंदाजा नहीं था कि हम एक ऐसे केस का सामना कर रहे हैं जो इतिहास में दर्ज होगा। सर्जरी सफल रही और हमें खून चढ़ाने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। यह विज्ञान और भाग्य का अद्भुत संगम था।”
यह मामला मेडिकल साइंस में एक अनोखी मिसाल बन गया है और आने वाले वर्षों में रक्त की जाँच और पहचान की दिशा में शोध को और गहरा कर सकता है।
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