- आखिर गोली लगे घायल को अन्य सरकारी अस्पताल में मेडिकल बनवाने के लिए डॉक्टर ने क्यों रोका!
एसके सोनी
रायबरेली। जनपद में अपराध चरम सीमा पर है, प्रतिदिन किसी न किसी थाना क्षेत्र में अपराध की घटनाएं प्रकाशित होती रहती है, ऊंचाहार क्षेत्र में एक गोली कांड का मामला उस समय चर्चा का विषय बन गया जब ऊंचाहार पुलिस ने गोली कांड को मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर गोलीकांड की घटना को दबाने का प्रयास करने के आरोप लगे है।
पीड़ित परिवार का आरोप है कि न हीं उसके पुत्र को सही इलाज दिया गया ना ही सही मेडिकल तैयार कर गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया, पीड़ित परिवार ने खाकी और खादी पर मिली भगत का आरोप लगाने के साथ डॉक्टर पर किसी अन्य सरकारी अस्पताल में रेफर न करने का भी आरोप लगाया है।
आपको बता दे कि डीजीपी, एसपी, सीएमओ को दिए शिकायती पत्र में छत्रपाल पुत्र भारत लाल निवासी रामचन्दरपुर ऊंचाहार रायबरेली ने बताया कि मैं रामचंदरपुर का निवासी है। घटना दिनांक 08 जनवरी 2025 समय लगभग 12 बजे रात में पीड़ित का पुत्र योगेश कुमार रायबरेली से ट्रक से चढरई चौराहे पर उतरा था वहां से पैदल घर आ रहा था।
जैसे ही रविशंकर के बाग के पास पहुंचा तभी वहां गांव के पहले से घात लगाये बैठे दिलीप कुमार पुत्र रामानन्द, गुड्डू तिवारी पुत्र रामानन्दन, राजा तिवारी पुत्र अंजनी, अमर शुक्ला पुत्र उमा शुक्ला ने पुरानी रंजिश को लेकर पीड़ित के पुत्र के ऊपर हमला कर दिया और लात घूंसों से मारना शुरू कर दिया। पीड़ित का पुत्र जान बचाकर भागना चाहा तो उक्त लोगों द्वारा प्रार्थी के पुत्र को जान से मारने की नियत से गोली मार दी।
पीड़ित के पुत्र के पेट में गोली लगी और आर-पार हो गयी। पीड़ित के पुत्र का इलाज जिला अस्पताल रायबरेली में चल रहा है। स्थानीय पुलिस द्वारा गम्भीर अपराध होने के बावजूद भी सुसंगत धाराओं में एफ०आई०आर० दर्ज नहीं की, बल्कि प्रथम सूचना रिपोर्ट सं०- 0007/2025 अं० धारा 115 (2), 351(2), 126 (2) बी०एन०एस० में दर्ज की गयी। राजनीति दबाव के कारण थाना ऊंचाहार पुलिस/विवेचक द्वारा मुल्जिमानों को अब तक गिरफ्तार नहीं किया है, बल्कि पीड़ित व उसके पुत्र पर सुलह समझौता के लिए दबाव बना रही है। पीड़ित के पुत्र को लगातार जान का खतरा बना हुआ है।
क्या कहते है सीओ डलमऊ
इस पूरी घटना में जारी बयान में डलमऊ क्षेत्राधिकारी ने बताया कि मौका मुआयना के बाद इस मारपीट की वारदात पर फायरिंग की कोई घटना सामने नहीं आई है, सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया है, मेडिकल में भी गोली लगने की पुष्टि नहीं हुई।
अब बड़ा सवाल यह है कि पीड़ित के पेट में बने छेद के निशान कहां से आए, डॉक्टर घायल को किसी दूसरे सरकारी अस्पताल में रेफर करने को क्यों तैयार नहीं, ऐसे तमाम सवाल इस घटना में प्रतीत हो रहे है, फिलहाल सभी बातें जांच के विषय है।
घायल को एम्स व मेडिकल कॉलेज रेफर करने पर अड़े रहे परिजन
इस पूरी घटना में सबसे बड़ा सवाल घायल का इलाज जिला अस्पताल में कर रहे सर्जन जेके लाल ने घायल को किसी अन्य सरकारी अस्पताल में रेफर करने से बार-बार क्यों मना किया, क्या किसी मरीज को मन मुताबिक सरकारी अस्पताल में मेडिकल करवाने का अधिकार नहीं है, क्या सर्जन पर भी किसी का दबाव था, ऐसे तमाम सवाल जांच के विषय हैं।