- UPSIFS अमेरिका, मैक्सिको और गल्फ देशों के विश्वविद्यालयों के साथ भी मिलकर कृत्रिम बुद्धिमता के विभिन्न मुद्दों पर कार्य करेगा: डॉ0 जी.के. गोस्वामी
- डेटा एआई की क्षमताओं को बढ़ाते तो हैं,लेकिन गोपनीयता भंग और दुरुपयोग का जोखिम भी देते हैं : सुश्री शेरमन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी राजनयिक, इजराइल
शकील अहमद
सरोजनीनगर, लखनऊ । उ0प्र0 स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस लखनऊ में दिनांक 16/02/2025 को “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की उभरती तकनीकें और कानूनी नियम” विषय पर एक महत्वपूर्ण ज्ञानवर्धक कार्यशाला आयोजित किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ0 जी.के. गोस्वामी, अतिथि वक्ता सुश्री माया शेरमन विज्ञान और प्रौद्योगिकी राजनयिक इजराइल, (भारतीय दूतावास नई दिल्ली भारत) एवं अपर निदेशक राजीव मल्होत्रा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस सत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास एवं विभिन्न क्षेत्रों पर इसके प्रभाव और इससे जुड़े कानूनी व नैतिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ . के. गोस्वामी ने कहा कि “भारतीय प्रतिभा को पूरी दुनिया में पहचाना जाता है। हमारा उद्देश्य केवल आपको एक सामान्य पेशेवर बनाना नहीं बल्कि नेतृत्वकर्ता के रूप में प्रशिक्षित करना है। हमें पीछे नहीं रहना है बल्कि दुनिया के भविष्य को डिजाइन करना है।
यही इस संस्थान की भावना है। भविष्य में हमारा संस्थान अमेरिका मैक्सिको और गल्फ देशों के विश्वविद्यालयों के साथ भी मिलकर कृत्रिम बुद्धिमता के विभिन्न मुद्दों पर कार्य करेगा l उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए पहला अवसर है जब कोई विशिष्ट वैदेशिक व्यक्ति भारतीय दूतावास से हमारे बीच उपस्थित होकर छात्रो का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषय पर ज्ञानवर्धन कर रहा है
निदेशक डॉ गोस्वामी ने इस बात पर बल दिया कि छात्रों और संकाय सदस्यों को इन परियोजनाओं का जमीनी स्तर पर अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि “हम जानते हैं कि एआई क्या कर सकता है लेकिन यह प्रौद्योगिकी वास्तव में कैसे काम करती है? यह सीखने के लिए आपको ऑन-ग्राउंड अनुभव की आवश्यकता है। इसलिए आपको विभिन्न क्षेत्रों में इंटर्नशिप करने का अवसर मिलेगा।
इस अवसर पर सुश्री शेरमन ने अपने संबोधन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की उन्होंने कहा कि एआई की निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए उन्होंने नैतिक एआई के विकास की आवश्यकता पर भी जोर दिया । उन्होंने कहा कि जहाँ आज कल एआई प्रगति का एक सशक्त माध्यम बन चुका है वहीं यह यक्तिगत सुरक्षा, जैसी चुनौतियों को भी जन्म देता है।
शेरमन ने कहा कि विशाल डेटा सेट एआई की क्षमताओं को बढ़ाते हैं, लेकिन साथ ही गोपनीयता भंग होने और डेटा के दुरुपयोग का जोखिम भी बढ़ाते हैं। एआई की दुनिया में छोटे कलाकारों की सुरक्षा कैसे की जाए? आज की दुनिया में डेटा की सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है इस पर भी उन्होंने प्रकाश डाला। शेरमन ने इस बात पर जोर दिया कि एआई द्वारा बनाई गई कला को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की आवश्यकता है। उन्होंने इस संभावना पर भी चर्चा की कि भविष्य में मौलिकता को रचनात्मकता का पैमाना नहीं माना जा सकता।
सत्र के दौरान छात्रों ने एआई द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित प्रश्न उठाए। शेरमन ने बताया कि सरल और दोहराए जाने वाले कार्यों को एआई द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है। हालांकि यह कौशल,अस्थिर तर्क और निर्णय लेने की क्षमता पर आधारित हैं इसे एआई द्वारा आसानी से बदला नहीं जा सकता। सत्र के दौरान छात्रों ने एआई द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित प्रश्न उठाए। जिसका जबाब शेरमन ने छात्रों को दिया यह सम्मेलन छात्रों और शिक्षाविदों के लिए एआई की वर्तमान चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हुआ।
इस अवसर पर अपर निदेशक राजीव मल्होत्रा ने अतिथि वक्ता और उपस्थित जन का आभार व्यक्त किया, सभागार में डीन एसपी राय, एआर सी एम् सिंह, श्रुति दास गुप्ता विवेक कुमार डा0 रोशन सिंह, जनसंपर्क अधिकारी संतोष तिवारी,प्रतिसार निरीक्षक वृजेश सिंह फेक्ल्टी डा0 सपना, डॉ अजित सहित संस्थान की छात्र छात्राए एवं अन्य शिक्षकगण उपस्थित रहे।