उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित टाइगर रिज़र्व दुधवा नेशनल पार्क में चार बाघों के शव मिलने का मामला सामने आया है.

उत्तर प्रदेश

लखीमपुर के इस नेशनल पार्क में ये घटना 21 अप्रैल से लेकर 9 जून के बीच की है.इसके बाद दुधवा टाइगर रिज़र्व के फ़ील्ड डायरेक्टर बी प्रभाकर को हटा दिया गया है.

उनकी जगह मुख्य वन संरक्षक बरेली ललित वर्मा को फ़ील्ड डायरेक्टर की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले की जाँच के लिए उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार को ज़िम्मेदारी दी है.

अरुण कुमार ने बाघों की मौत को लेकर कहा था कि “कुछ न कुछ कमी विभाग की रही है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”

21 अप्रैल को वन्यकर्मी एक गन्ने के खेत में घूम रहे बाघ की निगरानी कर रहे थे कि वो अचानक गिर गया और उसकी मौत हो गई.

ये घटना टाइगर रिज़र्व के सलेमपुर इलाक़े में हुई.

बाघ की उम्र दो से ढाई साल बताई जा रही है और डीएफ़ओ सुंदरेश की माने तो पोस्टमार्टम में पाया गया कि बाघ की मौत अंदरूनी चोटों की वजह से हुई थी.

माना जा रहा है कि बाघ ने किसी जानवर का शिकार किया था, जिसकी हड्डी उसके पेट में फँस गई थी. इससे बाघ की आंत में घाव हो गया था और चोट के कारण उसके कई अंग नाकाम हो गए थे.

31 मई को दुधवा नेशनल पार्क के बफ़र ज़ोन के उत्तरी निघासन रेंज में एक चार वर्षीय बाघ का शव मिला था.

अधिकारियों ने बाघ की मौत पर कहा था कि इसकी मौत किसी जानवर से टकराने के कारण हुई थी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ तत्कालीन फ़ील्ड डायरेक्टर ने बताया था कि बाघ की मौत किसी दूसरे जानवर से लड़ाई में घायल होने की वजह से हुई है.

तीन जून को मैलानी रेंज के रामपुर ढकैया गाँव में दो साल की बाघिन घायल हालत में मिली थी.

गाँववालों ने वन अधिकारियों को बाघिन के गाँव में आने की सूचना दी, लेकिन जब तक अधिकारी पहुँचे और बाघिन को निकालते, तब तक बाघिन की मौत हो चुकी थी.

अधिकारियों के मुताबिक़ बाघिन के नाखून और पंजे टूट चुके थे, जिससे वह शिकार नहीं कर पा रही थी.

9 जून को लखीमपुर के दुधवा नेशनल पार्क के किशनपुर जंगल के मैलानी रेंज के कोर एरिया से 10 साल से ज़्यादा उम्र के बाघ का शव बरामद किया गया था.

इस टाइगर का पोस्टमार्टम बरेली में स्थित इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IVRI) में हुआ.

अभी तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हुई है लेकिन शव मिलने के समय बाघ के शरीर पर कई सारे घाव पाए गए.

उत्तर प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री अरुण कुमार ने मीडिया को बताया, “ये महसूस होता है कि दूसरे बाघ से या किसी और जानवर से लड़ाई हुई है और उसके सिर पर चोट थी. इसके अलावा उसके पैरों पर भी थोड़ी चोट की वजह से हिमोटोमा था और उसके पेट में कुछ नहीं था. चोट की वजह से शायद तीन चार दिन पहले उसकी डेथ हुई और उसके बाद जो कीड़े मक्खी पड़ते हैं वो पड़ गए.”

वन अधिकारियों के मुताबिक़ सभी के नाखून, दाँत और उनकी खाल सही हालात में मिली है.

तेंदुए की मौत पर मौके पर पहुँचे गोला के डीएफ़ओ संजीव तिवारी ने कहा, “तेंदुए की मौत आपसी संघर्ष के कारण हुई है जो प्रथम दृष्टया देखने पर पता चल रहा है.

ये और कई कारणों से भी हो सकता है. देखिए पानी की भी कहीं ना कहीं दिक्कत है और दूसरी गर्मी इतनी ज़्यादा हो रही है तो उसकी वजह से भी कहीं ना कहीं समस्याएँ हैं.”

लापरवाही के सवाल पर प्रदेश के वन मंत्री अरुण कुमार सक्सेना कहते हैं, “देखिए ऐसा है कोई लापरवाही ऐसी सामने नहीं आई है जो हम अभी बताएँ. फिर भी हम इसकी पूरी जाँच करेंगे और ज़रा सी भी ऐसी कोई बात होगी लापरवाही वाली तो तुरंत एक्शन होगा. मुख्यमंत्री जी ने संज्ञान लिया है. ख़ास तौर से देखूँगा कि कहीं कोई लापरवाही तो नहीं है अगर लापरवाही होगी तो उस पर तुरंत एक्शन होगा.”

जब मंत्री अरुण कुमार से स्थानीय मीडिया ने पूछा कि क्या मैदानी रेंज में बाघिन की मौत प्यास की वजह से हुई है, तो उन्होंने कहा, “देखिए जंगल के अंदर पानी की कोई कमी नहीं है. कभी कभी ऐसा होता है कि जानवर कुछ इस तरह से बीमार हो जाता है. पानी पास में होता है और वो पानी पी नहीं पाता है, तो अंदर पेट में नहीं होगा पानी.”

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