छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेलकूद का विकासखंड स्तरीय शुभारंभ

छत्तीसगढ़

दुर्गुकोंदल । “खेलोगे कूदोगे होंगे खराब,पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब” इस वाक्य से जहाँ हर अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ने की समझाइश देते थे। ऐसी धारणाओं को आज हमारे जीवन मे खेल के महत्व ने गलत साबित किया है। वर्तमान में आज पढ़ाई के साथ खेल जैसे गतिविधियां भी बहुत महत्वपूर्ण है। माननीय मुख्यमंत्री के संकल्पों के अनुरूप पूरे छत्तीसगढ़ राज्य में छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किया जा रहा है। इस ओलंपिक के माध्यम से सभी वर्गों बच्चों से लेकर बुजुर्गों को खेल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिनको लगता था कि खेल एक उम्र की सीमा तक ही खेली जा सकती है। आज वे भी इस ओलंपिक में शामिल हो कर खुश हो रहे हैं। राज्य शासन द्वारा शुरू की गई छत्तीसगढि़या ओलंपिक ने सभी को अपने बचपन मे खेले गए खेलों को याद दिला दिया।दुर्गुकोंदल जनपद को छह जॉन में विभाजित कर छत्तीसगढि़या ओलंपिक का शुभारंभ उन्मुक्त खेल मैदान में छत्तीसगढ़ महतारीं के छायाचित्र पर मुख्यातिथि श्रीमती संतो दुग्गा अध्यक्ष जनपद पंचायत दुर्गुकोंदल, कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हुमन मरकाम विधायक प्रतिनिधि द्वारा दीप प्रज्वलित कर पूजन अर्चन के साथ जनपद के छह ज़ोन के खिलाड़ियों के उपस्थिति में किया गया। विधिवत शुभारंभ के पश्चात 18 वर्ष से कम बालक 100 मीटर दौड़ को फीता काटकर विधिवत गति प्रदान ह्यूमन मरकाम एवं संतों दुग्ग्गा के द्वारा किया गया। मंच संचालन कर रहे संजय वस्त्रकार ने कहा कि पुरातन समय मे ग्रामीण क्षेत्रों में इन पारंपरिक खेल का काफी महत्व था। जहां बच्चे गली, मोहल्लों में बाटी, फुगड़ी, गिल्ली डंडा, पिट्टूल, लंगड़ी, जैसे विभिन्न खेलों को मनोरंजक माहौल बना देते थे और लोग भी बड़ी आतुरता के साथ खेल का आनंद लेते हुए विजेता का इंतज़ार करते थे। लेकिन बदलते परिवेश के साथ ये भी अंधेरों में कहीं धूंध सी नजर आ रही थी या एक तरह से कहा जा सकता है कि लुप्तता की कगार पर पहुँच चुके थे लेकिन अब राज्य शासन के प्रयास ने इस ओलंपिक के माध्यम से विलुप्त हो रहे खेलों को जीवंत कर दिया है। विभिन्न खेल गतिविधियों के आयोजन में सभी बड़े ही उत्साह से शामिल हो रहे हैं। सभी अपनी-अपनी भागीदारी दिखाकर खेलों में रुचि लेते हुए आगे आ रहे हैं। शासन के महत्वपूर्ण प्रयासों से आज खेल के क्षेत्रों में काफी सुधार हो रहा है। नई पीढ़ी जो आज की तकनीकी संसाधनों के बीच अपने पारंपरिक खेलों से अनभिज्ञ थे आज उन्हें सीखने का अवसर मिल रहा है आने वाले समय में खेलों के क्षेत्र में ये राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले खेलों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगे। राज्य शासन द्वारा शुरू हुए छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में सभी आयु वर्ग के लोग निर्धारित श्रेणी में 14 प्रकार के खेलों में अपनी निपुणता दिखाते हुए विभिन्न स्तरों को पार कर राज्य स्तर पर अपनी लोहा मनवाने व प्रतिभा दिखाने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में शामिल होंगे। बालिका वर्ग 18वर्ष से कम 100 मीटर दौड़ प्रथम करिश्मा पुङो कोंडे,द्वितीय पिंकी उसेंडी कोंडे, तृतीय पूर्णिमा मेड़ो,18 से 40 वर्ष में प्रथम कृतिका नरेटी दुर्गुकोंदल,द्वितीय लोकेश्वरी कोदापाखा,रवीना गावड़े बरहेली,40 वर्ष से अधिक प्रथम सरस्वती मरकाम भण्डारदिगी, द्वितीय सावित्री नरेटी हटकोंदल,पुरुष वर्ग में 18 वर्ष से कम प्रथम अजय कुमार हटकोंदल,द्वितीय मोहन लाल बरहेली, तृतीय साहिल नागवंशी दुर्गुकोंदल,18 से 40 आयु समूह में प्रथम गजेंद्र यादव बरहेली, द्वितीय युगल किशोरे दुर्गुकोंदल,तृतीय मनीष हटकोंदल,40 आयु से ऊपर प्रथम श्याम लाल कोंडे,द्वितीय कृष्ण कुमार बरहेली, तृतीय संजय वस्त्रकार दुर्गुकोंदल।लंगड़ी दौड़ 18 वर्ष से कम बालक वर्ग प्रथम नवीन एवं रूप सिंह कोदापाखा,18 से 40 आयु समूह के प्रथम विक्की सलाम सूर्यकांत नरेटी बरहेली,द्वितीय देव सिंह मण्डावी हनुमंत उइके हटकोंदल,तृतीय महीन दर्रों लोकेश नरेटी बरहेली ,40 वर्ष से ऊपर कृष्ण कुमार यादव श्यामलाल आमाकड़ा,बालिका 18 वर्ष से कम प्रथम तुलसी दुग्गा मोनिका दरों बरहेली,द्वितीय रवीना उयके आसी नरेटी कोदापाखा, तृतीय रश्मि नेताम दुर्गावती भंडारडिग्गी,18 से 40 आयु समूह प्रथम कृतिका नरेटी रोशनी नरेटी भंडारडीगी, संकिता कोवाची लोकेश्वरी सोरी कोदापाखा द्वितीय एवं तृतीय रवीना गावडे कविता कोमरे बरहेली,40 वर्ष से अधिक आयु समूह में प्रथम सरस्वती मरकाम सावित्री नरेटी का रहा।प्रथम दिवस खेलकूद सम्पन्न कराने में प्रखर चंद्राकर मुख्य कार्यपालन अधिकारी,एस पी कोसरे खंड शिक्षा अधिकारी,अंजलि मंडावी सहायक खंड शिक्षा अधिकारी,आर आर यादव,आर के किशोरे,आर डी ठाकुर,बलराम भोयर,लतिप सोम,किशोर विश्वकर्मा, गोवेर्धन मंडावी, रामचंद्र दुग्गा, भारत दरपट्टी, बृजभूषण आर्य,योगेश मरकाम,शिवप्रसाद नरेटी, कृपाराम बघेल,सूरज नरेटी, दुर्गा मसिया, सावित्री ठाकुर,सावित्री नरेटी,एएजेश कुर्रे,तिलेश्वरी नुरेटी,नंदकुमार कुल्हाड़े,मनोज दरियों,राजेश नागवंशी, भागीरथी बोगा,सुरेश ठाकुर, हरीश नागराज,उत्तम आर्य आदि का सहयोग रहा ।