- महाकुंभ आस्था और एकता का प्रतीक है, ‘मृत्युकुंभ’ नहीं – डॉ. राजेश्वर सिंह
- महाकुंभ जोड़ता है, तोड़ता नहीं – भाजपा विधायक ने ममता बनर्जी के बयान का खंडन किया
शकील अहमद
लखनऊ। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा महाकुंभ को मृत्युकुंभ कहे जाने पर सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। विधायक ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ममता बनर्जी का बयान न केवल हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का अपमान है, बल्कि देश की एकता और अखंडता पर भी सीधा प्रहार है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफोर्म एक्स (X) पर पोस्ट कर लिखा कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिकता, सामाजिक समरसता और भारतीय आस्था का अद्वितीय प्रतीक है। इस पवित्र आयोजन पर की गई कोई भी नकारात्मक टिप्पणी भारतीय संस्कृति को कमजोर करने का प्रयास है, जिसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
महाकुंभ: भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का गौरव
सोशल मीडिया प्लेटफोर्म एक्स (X) पर किये गए पोस्ट में विधायक ने लिखा, प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ हिंदू धर्म का एक पवित्र और ऐतिहासिक आयोजन है, जिसका उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है। यह अवसर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज के लिए आत्मिक और मानसिक शुद्धि का भी एक बड़ा माध्यम है। महाकुंभ के समय किया गया पवित्र स्नान आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति का कारण बनता है।
प्राचीन ग्रंथों में महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ का उल्लेख “विष्णु पुराण”, “स्कन्द पुराण”, “महाभारत” और “आध्यात्मिक उपनिषद” में हुआ है। विष्णु पुराण (3.12): गंगा स्नान को आत्मा की शुद्धि का सर्वोत्तम उपाय बताया गया है। स्कन्द पुराण (1.33): महाकुंभ के दौरान किए गए स्नान को जीवन के पापों का प्रक्षालन करने वाला माना गया है। महाभारत (आदि पर्व, 117): महाकुंभ को धार्मिक और
सामाजिक एकता का प्रतीक बताया गया है। आध्यात्मिक उपनिषद: ध्यान और साधना के सर्वोत्तम अवसर के रूप में इसकी व्याख्या की गई है। महाकुंभ का मुख्य उद्देश्य आध्यात्मिक शुद्धि, सामाजिक समरसता और भारतीय संस्कृति को संजोकर रखना है। लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान कर आत्मशुद्धि प्राप्त करते हैं।
महाकुंभ पर नकारात्मक टिप्पणी निंदनीय
महाकुंभ को “मृत्युकुंभ” कहकर अपमानित करने वाले बयान न केवल हिंदू धर्म का अपमान हैं, बल्कि भारतीय एकता और अखंडता पर भी आघात करते हैं। यह नकारात्मक टिप्पणियां समाज में अविश्वास और विभाजन फैलाने के उद्देश्य से की जा रही हैं। ऐसे बयान देने वाले हिंदू धर्म की पवित्र परंपराओं का निरादर कर रहे हैं और तुष्टिकरण की राजनीति को बढ़ावा दे रहे हैं।
भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने ममता बनर्जी के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह बयान उनकी हिंदू विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति, धर्म और सामाजिक एकता का प्रतीक है और इसका अपमान किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। अपने बयान के अंत में विधायक ने जोड़ा कि महाकुंभ भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म का गौरव है।
इसका अपमान करना हमारे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का अपमान है। हम इसे सहन नहीं करेंगे। हिंदू धर्म की परंपराएँ और संस्कृतियाँ भारत के गौरव का हिस्सा हैं, और हमें इनका आदर एवं संरक्षण करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि महाकुंभ जैसे आयोजनों का उद्देश्य सभी धर्मों और समुदायों के बीच एकता, शांति और समरसता को बढ़ावा देना है। इस पवित्र आयोजन का अनादर करना भारतीय समाज के लिए अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।