-रायबरेली में स्वास्थ्य सेवाओं पर उठे सवाल: गर्भवती महिला के मृत बच्चे का जन्म
-गर्भवती महिला के मृत बच्चे के जन्म का मामला: नर्स पर लापरवाही और दुर्व्यवहार के आरोप
रायबरेली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खीरों में एक गर्भवती महिला ने मृत बच्चे को जन्म देने की घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को लेकर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। पीड़ित परिवार ने अस्पताल के स्टाफ नर्सों की लापरवाही के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में सुधार की आवश्यकता है?
परिवार की शिकायतें
पीडि़त परिवार ने विशेष रूप से नर्स पूर्णिमा सिंह और नीलम सिंह पर अपनी निराशा व्यक्त करते हुए उन पर अनदेखी और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, डॉक्टर भावेश सिंह ने उनकी पत्नी को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया था, जब अस्पताल में निरीक्षण करने के लिए CMO आए थे। यह कदम अस्पताल के प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करता है और इस बात की पुष्टि करता है कि मरीजों की सुरक्षा प्राथमिकता नहीं रही।
सीएमओ की प्रतिक्रिया
जब पीड़ित परिवार ने CMO से मुलाकात की और उन्हें इस घटना के बारे में बताया, तो उन्होंने स्टाफ नर्सों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया। यह आश्वासन परिवार के लिए थोड़ी संतोषजनक दिखता है, लेकिन क्या यह उक्त घटना का स्थायी समाधान है? यह मामला व्यापक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा करता है।
अस्पताल में संवेदनहीनता का मामला
परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्हें उचित मेडिकल देखभाल नहीं मिली, जिससे गर्भवती महिला को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। खीरों अस्पताल को हाल के दिनों में कई अनियमितताओं का केंद्र बताया जा रहा है। कई मरीजों की शिकायतें हैं कि यहां इलाज के नाम पर मजाक किया जा रहा है। यह स्थिति न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि उनके विश्वास को भी प्रभावित कर रही है।
पहले भी लगाए गए आरोप
नर्स पूर्णिमा सिंह पर यह पहला आरोप नहीं है। पहले भी उनपर कई गंभीर आरोप लगाए जा चुके हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि स्वास्थ्य केंद्र में सुधार की आवश्यकता है। परिवार ने नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ ठोस कदम उठाने की मांग की है ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों की पुनरावृत्ति न हो सके।
घटना का विवरण
लवकुश पासवान की गर्भवती पत्नी करिश्मा को 15 दिसंबर 2024 को प्रसव पीड़ा होने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खीरों लाया गया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि इमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात नर्स पूर्णिमा सिंह ने बिना किसी उचित जांच के उन्हें यह कहते हुए अस्पताल से बाहर निकाल दिया कि प्रसव में अभी समय है और 12 से 24 घंटे बाद आने की सलाह दी।
अस्पताल परिसर में कराया गया इंतजार
गंभीर स्थिति में भी परिवार अस्पताल परिसर में इंतजार करता रहा, लेकिन दोपहर 2 बजे उन्हें वहां से भी हटा दिया गया। इसके बाद रात में जब प्रसव पीड़ा और बढ़ गई तो परिवार करिश्मा को दोबारा अस्पताल ले गया। इस बार भी स्टाफ ने तुरंत इलाज या जांच करने से इनकार कर दिया।
मृत बच्चे का जन्म
परिवार का कहना है कि नर्सों की लापरवाही के कारण रात 12:26 बजे करिश्मा ने मृत बच्चे को जन्म दिया। पीड़ित लवकुश पासवान का कहना है कि यदि समय पर प्रसव कराया जाता तो उनके बच्चे की जान बचाई जा सकती थी।
दुर्व्यवहार का भी आरोप
परिवार ने नर्स नीलम सिंह पर दुर्व्यवहार और अभद्र भाषा का प्रयोग करने का भी आरोप लगाया। उनका कहना है कि नर्स ने न केवल मरीज की अनदेखी की, बल्कि परिवार के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार भी किया।
पीड़ित परिवार की मांग
इस दर्दनाक घटना के बाद पीड़ित परिवार ने मामले की गहन जांच की मांग की है। उन्होंने दोषी स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई और अस्पताल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने की अपील की है।
यह मामला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को उजागर करता है और प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।
क्या कहते है सीएमओ
इस संबंध में जब सीएमओ से बात की गयी तो उन्होने ने बताया मामला जानकारी मे आया है, जाँच कराकर अरोपी महिला नर्सो पर कार्यवाही की जाएगी।