भारत, जो अपनी युवा शक्ति और विशाल जनसंख्या के लिए जाना जाता है, आज एक नए मोड़ पर खड़ा है। हमारे देश को दुनिया के चौथे सबसे युवा देश के रूप में माना जाता है, लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने कुछ गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं।
भारत की युवा आबादी, जो एक समय पर 24 साल की औसत उम्र पर थी, अब बढ़कर 29 साल की हो चुकी है। इसका अर्थ यह है कि देश में युवाओं की संख्या घट रही है। यह बदलाव देश की जनसंख्या की बढ़ती औसत उम्र और धीमी जनसंख्या वृद्धि दर के कारण हो रहा है।
1951 में भारत की जनसंख्या वृद्धि दर 1.25% थी, और 1972 में यह 2.2% तक पहुँच गई, जो कि उच्चतम स्तर था। लेकिन 2024 में यह केवल 1% रह गई है, जो 1951 के बाद सबसे धीमी गति है। यह गिरावट भारत की युवा कार्यशक्ति और भविष्य की आर्थिक प्रगति के लिए एक चुनौतीपूर्ण संकेत है।
भारत की पहचान एक युवा और गतिशील देश के रूप में रही है, जहां युवा वर्ग देश की प्रगति का प्रमुख स्तंभ है। लेकिन युवाओं की संख्या में गिरावट और जनसंख्या वृद्धि दर के धीमे होने से देश की उत्पादकता और नवाचार क्षमता प्रभावित हो सकती है।
आज के समय में, यह आवश्यक है कि हम न केवल इस बदलाव को समझें, बल्कि इसे रोकने के लिए कदम उठाएँ। युवाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में सुधार कर, हम इस चुनौती का सामना कर सकते हैं और देश को विकास के नए मार्ग पर ले जा सकते हैं।
#भारत_की_युवा_शक्ति #घटती_युवा_आबादी #जनसंख्या_वृद्धि #भारत_का_भविष्य #युवाओं_का_योगदान