सुल्तान मैरिज गार्डन, जयपुर
31 अक्टूबर 2025
जयपुर की पवित्र धरती पर आज ऐसा निकाह सम्पन्न हुआ जिसने न केवल तेली मंसूरी समाज बल्कि पूरे समाज को एक नई सोच और प्रेरणा से भर दिया।
अफ़ज़ल और साजिया के इस पवित्र निकाह में रायसर के सम्मानित समाजसेवी श्री सरफ़ुद्दीन चौहान ने एक ऐतिहासिक उदाहरण पेश किया, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श बन जाएगा।
उन्होंने दहेज़ में केवल एक रुपया स्वीकार कर यह अमर संदेश दिया कि रिश्ते मोहब्बत, इंसानियत और समानता पर टिके होते हैं, न कि लालच, प्रदर्शन और लेनदेन पर।
यह कदम समाज में व्याप्त दहेज़ प्रथा जैसी बुराई के विरुद्ध एक सशक्त संदेश बनकर सामने आया है।
कार्यक्रम में उपस्थित समाज के गणमान्य जनों, परिजनों और अतिथियों ने इस सादगीपूर्ण विवाह की जमकर सराहना की। सभी ने एक स्वर में कहा कि अगर हर परिवार सरफ़ुद्दीन चौहान जैसे विचार अपनाए तो समाज से दहेज़ जैसी कुप्रथा का अंत स्वतः हो जाएगा।
इस अवसर पर पूरे समारोह में सादगी, आपसी प्रेम और भाईचारे का अद्भुत वातावरण देखने को मिला। निकाह के दौरान दोनों परिवारों ने यह स्पष्ट किया कि सच्ची खुशी सादगी में है, न कि तामझाम में।
समाज के वरिष्ठजनों ने कहा कि यह निकाह मंसूरी समाज के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ है। उन्होंने बताया कि आज जब समाज में दिखावे और प्रतिस्पर्धा का दौर चल रहा है, ऐसे समय में यह कदम एक नई चेतना लेकर आया है। यह उदाहरण युवाओं को यह सिखाता है कि सच्चे रिश्ते आत्मसम्मान और मानवीय मूल्यों पर टिके होते हैं, न कि भौतिक साधनों पर।
इस प्रेरणादायक विवाह ने पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनकर समाज को सोचने पर मजबूर किया है। तेली मंसूरी समाज के लोग इस पहल को सामाजिक सुधार और एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं।
सरफ़ुद्दीन चौहान ने अपने सादगीपूर्ण आचरण से यह साबित कर दिया कि असली प्रतिष्ठा पैसे या दहेज़ में नहीं, बल्कि नीयत, इरादे और सच्चे संस्कारों में होती है। उनका यह कदम समाज में परिवर्तन की दिशा में एक मजबूत नींव रखता है।
यह विवाह समारोह इस बात का प्रमाण है कि जब सोच ऊँची और इरादे नेक हों, तो समाज खुद-ब-खुद प्रगति की राह पर बढ़ता है। अफ़ज़ल और साजिया का यह दहेज़-मुक्त निकाह समाज के लिए एक जीवंत प्रेरणा बन गया है, जो आने वाले समय में अनेक घरों में सादगी और समानता की मिसाल बनेगा।
रिपोर्ट: सलमान मंसूरी






