- आवासीय मकानों की रजिस्ट्री को लेकर विधायक डॉ राजेश्वर सिंह ने लिया तत्काल संज्ञान
- 40 वर्षों से अधिक रह रहे चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी के मकानों की अब तक नहीं हुई रजिस्ट्री
- स्कूटर इंडिया कंपनी द्वारा आवंटित चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी का भविष्य खतरे में,
- चंद्रशेखर आजाद नगर का निर्माण वर्ष 1980_1981 में स्कूटर्स इंडिया के कर्मचारियों के लिए हुआ था
- अधिग्रहित भूमि- 41 बीघा 3 बिस्वा 18 बिस्वानसी, दूसरा सालिक भूमि – 24 बीघा 13 बिस्वा 16 बिस्वानसी , तीसरा वन भूमि- 4 बीघा 13 बिस्वा, चौथा ग्राम समाज भूमि- 2 बीघा 12 बिस्वा।
- स्कूटर्स इण्डिया कंपनी बंद हो जाने एवं मूल्य निर्धारण में हुआ विवादग्रस्त
- वर्ष 1998 में कॉलोनी से संबंधित उत्तर प्रदेश राज्यपाल की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक की गई थी
- कंपनी ने नोटिस के विरुद्ध उच्च न्यायालय लखनऊ में एकबाद दाखिल कर नोटिस स्टे करा दिया था
शकील अहमद
सरोजनीनगर, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में योगी सरकार जहां आवासीय योजनाओं के तहत असहाय एवं कर्मचारियों को निःशुल्क आवास दे रही है, वही अभी भी स्कूटर इंडिया कंपनी द्वारा आवंटित चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी का लगभग 40 वर्षों रह रहे तीन पीढ़ियों के मकान की रजिस्ट्री नहीं हुई, जब कि स्कूटर इंडिया कंपनी ने कर्मचारियों को आवास देने के समय फंड कर्मचारियों के तनख्वाह से ले चुकी है, उसके बाबजूद अभी तक उत्तर प्रदेश सरकार एवं सरोजनी नगर तहसील प्रशासन ने अभी तक 300 से ज्यादा मकानों कोई रजिस्ट्री नहीं की ।
दरोगा खेड़ा स्थित चंद्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी के मकानों का भविष्य खतरे में है। कॉलोनी में रहे हजारों की संख्या में लोगों ने मकानों की रजिस्ट्री हेतु सोसाइटी के डी०बी० सिंह अध्यक्ष चन्द्रशेखर आजाद नगर रेजिडेन्ट्स वेलफेयर समिति दरोगाखेड़ा के सलग्न पत्र संज्ञान लेने की बात विधायक डॉ राजेश्वर सिंह से की थी। जिसके द्वारा अवगत कराया गया है कि चन्द्रशेखर आजाद नगर कॉलोनी का विकास स्कूटर्स इण्डिया के कर्मचारियों के मकानों के लिए किया गया था उस समय के मूल्य निर्धारण के अनुसार मासिक किस्तों के माध्यम से पूर्ण धनराशि जमा कर दिये जाने पर रजिस्ट्री किया जाना प्राविधानित किया गया था।
कालान्तर में स्कूटर्स इण्डिया बंद हो जाने एवं मूल्य निर्धारण विवादग्रस्त हो गया, जिसके सम्बन्ध में अनेक पत्राचार एवं बैठकों के पश्चात भी नवीन मूल्य निर्धारण सम्भव नहीं हो सका। इसी क्रम में उपरोक्त प्रकरण में मा० उच्च न्यायालय, लखनऊ द्वारा पूर्व निर्धारित धनराशि को स्वीकार किये जाने का निर्देश दिया गया, जिसके अनुसार चेक के माध्यम से रुपए 4,55,067 की धनराशि की चेक 289303, दिनांक 18.02.2006 को प्राप्त करा दी गयी थी।
प्रकरण का समाधान अभी तक नहीं कराया जा सका है। मकानों की रजिस्ट्री संबंधित समस्याएं को लेकर तत्काल डॉ राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी को लिखा पत्र। डॉ राजेश्वर सिंह ने कॉलोनी वासियों को दिया आश्वाशन। इस समस्या को लेकर चंद्रशेखर आजाद नगर रेजिडेंट्स वेलफेयर समीति अध्यक्ष डी बी सिंह ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद नगर का निर्माण वर्ष 1980_1981 में स्कूटर्स इंडिया के कर्मचारियों के लिए किया गया था योजना का नाम स्वामित्व के आधार पर अपना घर।
इस योजना में चार तरह की जमीन है प्रथम अधिग्रहित भूमि- 41 बीघा 3 बिस्वा 18 बिस्वानसी, दूसरा सालिक भूमि – 24 बीघा 13 बिस्वा 16 बिस्वानसी , तीसरा वन भूमि- 4 बीघा 13 बिस्वा, चौथा ग्राम समाज भूमि- 2 बीघा 12 बिस्वा। स्कूटर इंडिया कंपनी ने उत्तर राज्य सरकार से 75 बीघा जमीन की मांग की थी परंतु सरकार ने 70 बीघा जमीन देने के लिए कहा था जिसके लिए कंपनी ने रुपए 1000 टोकन मनी भी जमा किया था। वर्ष 2006 में मायावती सरकार ने इसे निजि उपयोग कहकर 24 करोड़ 12 लाख का नोटिस भेज दिया।
कंपनी इस नोटिस के विरुद्ध उच्च न्यायालय लखनऊ में एकबाद दाखिल कर नोटिस स्टे करा दिया। उच्च न्यायालय ने जिला अधिकारी लखनऊ को पहले से तैमूर का भुगतान रुपए 4,55,067 करा दिया। वन भूमि को 90 वर्ष की लिज पर देने के लिए कहा गया। वन विभाग द्वारा औपचारिकताओं को पूरा करने में विलंब किए जाने के कारण प्रक्रिया लंबित है जमीन पर वास्तविक कब्जा है।
वर्ष 1998 में उत्तर प्रदेश राज्यपाल की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें मूल निर्धारण हेतु यह प्रकरण मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्तुत करने का आश्वासन राजस्व विभाग द्वारा प्रस्तुत करना था, जो आज तक मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया प्रकरण लंबित है। यदि यह प्रकरण मंत्री परिषद के समक्ष प्रस्तुत कर मूल्य निर्धारण की प्रक्रिया पूरी कर दी जाए तो समस्या का समाधान संभव हो जाएगा और हम सभी आवांटियों को मकान की रजिस्ट्री संभव हो जाएगा।