- जनऔषधि योजना पर भारी भ्रष्टाचार, गरीबों को थमाई जा रही महंगी दवाइयाँ
- सस्ती दवाओं की जगह मरीजों को खरीदनी पड़ रही जेब काटू जेनेरिक मेडिसिन
- सीएचसी खीरों का जनऔषधि केंद्र बना मुनाफाखोरी का अड्डा
रायबरेली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खीरों के अन्दर रोगियों को कम कीमत पर जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से जन औषधि केंद्र खोला गया है। केंद्र में प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अंतर्गत आपूर्ति की जाने वाली दवाइयां ही बेचने का आदेश है। मनमानी से जन औषधि केंद्र भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। वहां पर बहुत कम ऐसी दवाएं हैं जो जन औषधि परियोजना के अंतर्गत आपूर्ति की गई हैं।
अधिकांश दवाएं ऊंचे बिक्री मूल्य वाली निजी कंपनियों की जेनेरिक दवाएं हैं। जिनकी कीमत जन औषधि की दवाओं की कीमत से कई गुना ज्यादा है। सीएचसी के कई डॉक्टरों की मिली भगत से रोगियों को सस्ती जेनेरिक दवाओं के बजाय मंहगी जेनेरिक दवाइयां खरीदना के लिए विवश होना पड़ रहा है। जिससे जन औषधि केंद्र परियोजना का पूरा लाभ क्षेत्र की जनता को नहीं मिल पा रहा है।
सोमवार को क्षेत्र के सगुनी निवासी टाइफाइड ग्रसित एक साठ वर्षीय वृद्ध रोगी को निजी कंपनी की मंहगी जेनेरिक लिवर सिरप डॉक्टर के लिखे पर्चे पर जन औषधि केंद्र से बेची गई। क्षेत्र के सेनी निवासी वृद्ध रामासरे के चार वर्षीय पोते को सर्दी-जुकाम हो गया था। उसके इलाज के लिए वह सीएचसी गए। डॉक्टर के लिखे पर्चे पर जन औषधि केंद्र से उन्हें निजी कंपनी का मंहगी कीमत वाला जेनेरिक नैसेल ड्रॉप बेचा गया।
इलाज के लिए प्रतिदिन सीएचसी आने वाले ऐसे दर्जनों रोगियों को जन औषधि केंद्र में सस्ती जेनेरिक दवाओं के बजाय डॉक्टरों की मिलीभगत से मंहगी जेनेरिक दवाएं थमाई जा रही हैं। सोमवार को ओपीडी में सुबह के लगभग नौ बजे क्षेत्र के सुगनी निवासी रमाकांत 60 वर्ष इलाज के लिए गए थे। पिछले हफ्ते दो सितंबर को रमाकांत का टाइफाइड का इलाज शुरू हुआ था।
सोमवार को रमाकांत को ओपीडी में डॉक्टर मनोज मिश्रा ने दुबारा देखा। डॉक्टर ने उनसे कमरा नंबर पांच में खुले जन औषधि केंद्र से मल्टीविटामिन सिरप खरीदने को कहा। जन औषधि केंद्र में रमाकांत को मल्टीविटामिन के बजाए लिवोमेड प्लस नाम से एक निजी कंपनी का जेनेरिक सिरप एक सौ अस्सी रूपये में बेचा गया। जबकि जन औषधि केंद्र के लिवर सिरप की कीमत मात्र पैंतालीस रुपये है।
क्षेत्र के सेनी निवासी रामासरे के चार वर्ष के पोते कौशल को सर्दी-जुकाम हुआ था। उसका इलाज कराने वह पिछले सप्ताह एक सितंबर को सीएचसी गए थे। आराम न मिलने पर सोमवार को रामासरे फिर से सीएचसी गए। ओपीडी में लगभग साढ़े बारह बजे सीएचसी के अधीक्षक डॉ.भावेश सिंह पटेल ने उनके पोते को सरकारी पर्चे पर बच्चों की नाक में डालने के लिए एक नैसेल ड्रॉप लिखा।
जन औषधि केंद्र में वृद्ध को साठ रूपये में नैसेल ड्रॉप बेचा गया। जब्कि जन औषधि केंद्र के नैसेल ड्रॉप की कीमत पंद्रह रूपये है। इलाज के लिए सीएचसी आने वाले क्षेत्र के ऐसे दर्जनों मरीजों को हर रोज जन औषधि केंद्र की सस्ती जेनेरिक दवाएं न देकर निजी कंपनियों की मंहगी जेनेरिक दवाएं बेची जाती हैं।
अधिक मुनाफा कमाने का खेल
सीएचसी के अंदर खुले जन औषधि केंद्र में ज्यादातर दवाएं निजी कंपनियों की ऊंचे दामों वाली जेनेरिक दवाएं हैं। जिन्हें बेचने का मुख्य उद्देश्य अधिक मुनाफा कमाना है। जिम्मेदारों की मनमानी से इलाज के लिए अस्पताल आने वाले क्षेत्र के रोगी मंहगी दवाइयां खरीदने को मजबूर हैं ।
कई डॉक्टर हैं शामिल
सीएचसी अधीक्षक डॉ.भावेश सिंह पटेल, डॉ.मनोज मिश्रा, डॉ.राहुल घोष के पर्चों पर जन औषधि केंद्र में मंहगी कीमत वाली निजी व बाहरी कंपनियों की जेनेरिक दवाइयां सबसे अधिक बेची जाती हैं।
क्या कहते है सीएमओ डॉ0 नवीन चंद्रा
इस संबंध में जब सीएमओ डॉ0 नवीन चंद्रा से बात की गई तो उन्होंने कहाँ “यदि प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र पर प्राइवेट कंपनियों की दवाएं बेची जा रही हैं तो मामले की जांच कराकर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।”