गिरिडीह (झारखंड)। सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के निर्देश के आलोक में इंटरनेट के बढ़ते उपयोग एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्धारित थीम “साथ मिलकर एक बेहतर इंटरनेट के लिए” विषय पर आज समाहरणालय सभागार में उप विकास आयुक्त, स्मृता कुमारी की अध्यक्षता में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य दुनिया में सुरक्षित और बेहतर इंटरनेट सेवा प्रदान करना है। सुरक्षित इंटरनेट दिवस का लक्ष्य है कि प्रत्येक इंटरनेट उपभोक्त अपने डेटा (निजि जानकारी) को उजागर किए बिना भी जिम्मेदारी के साथ इंटरनेट का उपयोग कर सकता है।
मौके पर जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला परिवहन पदाधिकारी, पुलिस उपाधीक्षक, साइबर क्राइम, सूचना एवं विज्ञान पदाधिकारी समेत अन्य संबंधित अधिकारी/कर्मी उपस्थित थे।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप विकास आयुक्त ने कहा कि हरेक वर्ष की भांति आज भी 11 फरवरी को Safer Internet Day मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इंटरनेट एक शक्तिशाली उपकरण है जिसमें सीखने, कौशल बढ़ाने और नई योग्यताएं और ज्ञान प्राप्त करने के लिए बहुत सारे अवसर हैं। हालाँकि, अवसरों के साथ जोखिम भी आते हैं।
इंटरनेट डे का उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना है, लेकिन ऑनलाइन बच्चों और युवाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाना भी है। डिजिटल क्षेत्र में, बेहतर ऑनलाइन अनुभव के लिए सहयोग आवश्यक है, खासकर युवा उपयोगकर्ताओं के लिए।
मौके पर जिला सूचना एवं विज्ञान पदाधिकारी ने कहा कि वर्तमान समय में इंटरनेट की उपयोगिता काफी बढ़ गया है। इस साल सुरक्षित इंटरनेट दिवस की थीम, ‘टुगेदर फॉर ए बेटर इंटरनेट’ है। इस थीम का चयन इसलिए किया गया ताकि इससे जुड़े सभी लोग एक साथ आने के लिए प्रोत्साहित हो सके।
जिससे वेब को सभी के लिए खासकर बच्चों और युवाओं के लिए के लिए एक सुरक्षित और बेहतर जगह बनाया जा सके। इंटरनेट और सोशल मीडिया के इस दौर में सुरक्षित इंटरनेट दिवस का महत्व काफी बढ़ गया है।
इस दिवस पर लोगों को इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल के बारे में जागरूक करने के साथ-साथ साइबर हमलों का सामना करने के लिए शिक्षित भी किया जाता है। सेफर इंटरनेट दिवस पर कई कार्यक्रमों, माध्यमों द्वारा जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने साइबर अपराध क्या है, यह क्यों और कैसे होता है, पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से बताया।
साथ ही इससे बचाव के पाय भी बताए। आपके मोबाइल नंबर से साइबर अपराधी किसी दूसरे को फोन कर सकते हैं और आपको पता भी नहीं चलेगा। इसे एआइ तकनीक कहते हैं। इसके अलावा कार्यक्रम में शामिल युवाओं ने भी अपनी अपनी बात रखी।