हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। पिछले 10 वर्षों से राज्य में बीजेपी का दबदबा रहा है, लेकिन इस बार पार्टी को कई विरोधों का सामना करना पड़ रहा है। खासतौर से पहलवानों, किसानों और अग्निवीर योजना से जुड़े युवाओं के बीच नाराजगी ने पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं से बढ़ रही मुश्किलें
बीजेपी को न केवल जन असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि पार्टी छोड़कर जाने वाले नेताओं और टिकट न मिलने से नाराज नेताओं की वजह से भी स्थिति गंभीर होती जा रही है। चुनावी मैदान में बीजेपी को इन विभाजनों का सीधा नुकसान हो सकता है।
क्षेत्रीय पार्टियों की चुनौती
हालांकि हरियाणा में कई क्षेत्रीय पार्टियां भी मैदान में हैं, पर माना जा रहा है कि 90 विधानसभा सीटों में से ज्यादातर पर मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होगा। कांग्रेस का 2024 लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन बीजेपी के लिए और भी चिंता का विषय है।
2019 के मुकाबले इस बार की चुनौतियाँ
2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने हरियाणा में शानदार प्रदर्शन किया था, लेकिन कुछ ही महीनों बाद हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें अपेक्षित सफलता नहीं मिली। उस समय मनोहर लाल खट्टर सरकार के खिलाफ नाराजगी थी, लेकिन पहलवान, किसान और अग्निवीर योजना के मुद्दे उतने प्रबल नहीं थे जितने इस बार हैं। इस बार के चुनावों में बीजेपी को 2019 के प्रदर्शन से बेहतर करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि सामाजिक मुद्दे और सरकार की नीतियों को लेकर जनता में असंतोष और अधिक बढ़ा हुआ दिख रहा है।
हरियाणा में बीजेपी के लिए 2024 के विधानसभा चुनाव बड़ी चुनौती बन सकते हैं। जन असंतोष, पार्टी के भीतर विभाजन और कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव के बीच बीजेपी को अपनी रणनीतियों पर गहराई से विचार करना होगा। क्या बीजेपी इन चुनावी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर पाएगी, यह देखने वाली बात होगी।