जमशेदपुर (झारखंड)। आज झारखंड ने अपना अभिभावक खो दिया, देश की राजनीति का आंदोलनकारी युग समाप्त हो गया। गुरूजी ने झारखंड के आदिवासी, गरीब, शोषित और वंचितों के हक और अधिकार के लिए हमेशा संघर्ष किया और अलग झारखंड राज्य हमें दिया।
हम सभी आज खुद को राजनीतिक एवं वैचारिक रूप से अनाथ महसूस कर रहे हैं। मैं जब जब उनसे मिला उन्होंने मार्गदर्शन किया। जल जंगल और जमीन के लिए किया गया उनका आंदोलन इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से अंकित रहेगा।
इस दुख की घड़ी में हम सभी हेमंत सोरेन जी के साथ हैं। गुरूजी अमर रहे, शिबू सोरेन अमर रहे।