- “गरीब की मजबूरी पर भारी भ्रष्टाचार–खीरों सीएचसी में टीबी मरीज से दवा के बदले वसूली”
- “मानवता शर्मसार! खीरों सीएचसी में दवा के लिए गरीब से मांगे रुपये”
- “सरकारी अस्पताल में लूट – टीबी रोगी को इलाज के बदले पैसों की मांग”
रायबरेली। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) खीरों में भ्रष्टाचार और मनमानी की पोल खोलता एक वीडियो गुरुवार को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में पूरे ढकवा मजरे खीरों की रहने वाली वृद्ध महिला फूलमती ने बताया कि उसके पति शंभू (46 वर्ष), जो टीबी से पीड़ित हैं, को दवा देने के लिए लैब टेक्नीशियन ने पैसे की मांग की।
महिला का कहना है कि उसके पास पैसे नहीं हैं और गरीबी की वजह से वह दवा खरीदने में सक्षम नहीं है। आरोप है कि पैसे न देने पर उसके पति को दवा उपलब्ध नहीं कराई गई। लैब टेक्नीशियन ने यह तक कह दिया कि जब खाते में सरकार की ओर से प्रोत्साहन राशि आएगी तो उसमें से निकालकर उसे देना होगा।
पैसा नहीं तो दवा नहीं!
टीबी रोगियों को इलाज के दौरान खानपान और पोषण के लिए सरकार की ओर से 500 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि दी जाती है। लेकिन भ्रष्टाचार इस कदर हावी है कि सीएचसी स्टाफ उसी राशि पर भी नजर गड़ाए बैठे हैं। गरीब मरीजों की मजबूरी का फायदा उठाकर दवा तक रोक दी जा रही है, जिससे मानवता शर्मसार हो रही है।
अधीक्षक छुट्टी पर, मरीज बेहाल
सीएचसी खीरों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पहले से ही बदतर बताई जाती है। मरीज लगातार शिकायत करते हैं कि इलाज से लेकर दवा तक हर जगह पैसा वसूला जा रहा है। इस बीच अधीक्षक ने 11 सितंबर से 14 सितंबर तक छुट्टी ले ली है, जिससे व्यवस्थाओं की और भी दुर्दशा हो गई है।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य व्यवस्था
इस घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब मुफ्त दवा जैसी योजनाओं में भी गरीबों से वसूली हो रही हो तो बाकी सेवाओं की क्या स्थिति होगी?
स्थानीय लोग और मरीजों के परिजन मांग कर रहे हैं कि पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषी कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।