शक्तिनगर(सोनभद्र)। साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्ति नगर की ओर से बुद्ध जयंती की अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजीव कुमार डी जी एम, एस डाइ एनटीपीसी शक्तिनगर रहे।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बद्री प्रसाद ने किया। उपस्थित लोगों तथा अतिथियों का स्वागत सोन संगम के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार दुबे ने किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आज का यह दिन विशेष स्मरणीय है क्योंकि आज हम ऐसे महान विश्व विख्यात विभूति को याद रहे हैं,जिन्होंने संपूर्ण विश्व को शांति का संदेश दिया।
संगोष्ठी का श्रीगणेश तथा विषय की स्थापना करते हुए राजीव कुमार, प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज खड़िया बाजार ने गौतम बुद्ध को शांति के दूत के रूप में स्थापित किया। मुख्य वक्ता गोपाल तिवारी, प्रभारी काशी क्षेत्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि बुद्ध ने दुनिया को वही संदेश दिया जो उनके पूर्व हमारे वेद शास्त्र में पूर्व में रहा। जो आज भी मौजूद है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ छोटेलाल प्रसाद असिस्टेंट प्रोफेसर पत्रकारिता, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने गौतम बुद्ध के प्रारंभिक जीवन से लेकर उनके ज्ञान प्राप्ति तक को विस्तृत रूप में बताया।मुख्य अतिथि संजीव कुमार ने गौतम बुद्ध के तथागत रूप से लेकर के तत्कालीन समाज को प्रभावित करने वाले तत्वों को विस्तृत रूप में लोगों के समक्ष प्रस्तुत किया।
अन्य वक्ताओं में डॉ अनिल कुमार दुबे ने गौतम बुद्ध के प्रारंभिक जीवन के साथ-साथ उनके विश्व ख्याति को एक चमत्कार के रूप में व्याख्यायित करने का प्रयास किया। चंद्रशेखर जोशी प्राध्यापक कंप्यूटर साइंस सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज शक्तिनगर ने कहा कि गौतम बुद्ध का सत्य वद,धर्म चर तथा पालि भाषा तत्कालीन जन मानस को प्रभावित किया।
काव्य गोष्ठी की शुरुआत रमाकांत पांडे के द्वारा मां सरस्वती की बंदना इस प्रकार प्रस्तुत किया, ज्ञान की देवी माई शारदा,हरिला सारी विपदा।अज्ञानता दूर करो मां, अज्ञानता दूर करो मां।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बद्री प्रसाद ने अपनी भावना को कुछ इस प्रकार व्यक्त किया, सुन ले पाक तूने उजाडा है मेरे बहनों बेटियों का सिंदूर।तुझे हम कर देंगे हमेशा के लिए नेशना बू।
शक्तिनगर के जाने माने कवि कृपाशंकर माहिर मिर्जापुर ने अपनी रचना गीत शैली में इस प्रकार व्यक्त किया, हल्ला बोल के वीर जवान हमला बोल दो। तोड़ दो दुश्मन का अभिमान हमला बोल दो।अपनी शायरी के लिए मशहूर बहर बनारसी ने कुछ इस अंदाज में अपनी कता को पेश किया,कभी भजन में कभी अजान में रहते हैं। हमें पसंद है दोनों के मका में रहते हैं।यह और बात है टूटे मका में रहते हैं। मगर यह फखर है हिंदोस्ता में रहते हैं।
काव्य गोष्ठी को दूसरी ओर मोड़ते हुए गोपाल तिवारी ने अपनी रचना किस प्रकार व्यक्त किया, लिखना था तो निर्झर लिखते, नदिया झील समंदर लिखते,लेकिन रेत उदास लिखी है,लेकिन इन तपते अधरो पर,तुमने केवल प्यास लिखी है।
अपनी गीत के लिए जानी-मानी रचनाकार विजयलक्ष्मी पटेल ने अपनी कविता इस प्रकार प्रस्तुत किया,बेटी कोई वस्तु नहीं जो तार तार तुम करते हो। बेटी कोई पाषाण नहीं जो बार-बार उसे ढहते हो। नवोदित रचनाकार सुश्री प्रिया गुप्ता ने अपनी भावना को इन शब्दों में प्रस्तुत किया,नायाब उलझन की किताब हूं मैं। मुझे मेरे सिवा कोई नहीं जानता।
कार्यक्रम का संचालन रमाकांत पांडेय तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ मानिक चंद पांडेय के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ दिनेश कुमार, मुकेश रेल, वीरभद्र पटेल, कौशिक कुमार, लक्ष्मी नारायण दुबे, पप्पू चायवाला, गीता सिंह, मनोरमा कुमारी, अनुष्का कुमारी इत्यादि लोग उपस्थित रहे।