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साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम ने सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर शिक्षक सम्मान समारोह का किया आयोजन

Published on: 06-09-2025

शक्तिनगर(सोनभद्र)। साहित्यिक सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की ओर से सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर शिक्षक सम्मान समारोह 2025 का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि, भिलाई की विख्यात साहित्यकार डॉ बिना सिंह रागी, विशिष्ट अतिथि डॉ विनोद कुमार पांडेय, असिस्टेंट प्रोफेसर समाजशास्त्र, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ रहे।

मुख्य वक्ता के रूप में राजीव कुमार प्रधानाचार्य सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज खड़िया बाजार, विशिष्ट वक्ता के रूप में नरेंद्र भूषण शुक्ला, प्रधानाचार्य विवेकानंद इंटर कॉलेज शक्तिनगर तथा दूसरे विशिष्ट वक्ता चंद्रशेखर जोशी वरिष्ठ अध्यापक सेंट जोसेफ इंटर कॉलेज शक्ति नगर रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता गोपाल तिवारी,संभाग निरीक्षक काशी प्रांत ने किया।

अतिथियों का स्वागत करते हुए, सोन संगम शक्तिनगर के कार्यकारी विजय कुमार दुबे ने कहा कि आज का यह सम्मान समारोह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज के सम्मान समारोह में ऐसे लोगों को आमंत्रित किया गया है, जो समाज को सदैव नई दिशा प्रदान करते हैं। विषय की स्थापना करते हुए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ छोटेलाल प्रसाद ने कहा कि आज डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे महान विभूति के जन्मदिन के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है।

जो आदर्श शिक्षक, दार्शनिक शिक्षा विद एवं आदर्श राजनेता के साथ-साथ स्वतंत्र भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति रहे। सर्वपल्ली राधाकृष्णन महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की खोज थे। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के अध्यापक के रूप में कार्य किया था।उनका दर्शन संपूर्ण विश्व में अधिमान्य है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ बीना सिंह रागी ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारतवर्ष की शिक्षा प्रणाली सदियों से संपूर्ण विश्व को एक नई दिशा प्रदान की है। विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे डॉ विनोद कुमार पांडेय ने कहा कि, शिक्षक समाज का मेरुदंड है। शिक्षक सदैव शिक्षा के माध्यम से देश को एक नई ऊर्जा और विकास के मार्ग की ओर अग्रसर करता है।

मुख्य वक्ता के रूप में राजीव कुमार ने कहा कि हमारे देश की शिक्षा पद्धति सदियों से विश्व के लिए अनुकरणीय रही है। यही कहा है कि दुनिया के तमाम शिक्षा शास्त्री विद्वान अन्वेषण करने के लिए यहां आते रहे हैं। विशिष्ट वक्ता के रूप में नरेंद्र भूषण शुक्ला ने कहा कि हमारे देश की शिक्षा पद्धति प्रत्येक क्षेत्र में सराहनीय रही है। चिकित्सा आयुर्वेद के साथ-साथ ज्ञान विज्ञान में भी भारत की कोई सानी नहीं है।
दूसरे विशिष्ट वक्ता चंद्रशेखर जोशी ने बताया कि भारतवर्ष की शिक्षा का प्रभाव संपूर्ण दुनिया में आज देखा जा रहा है ।संसार के तमाम देशों में उनके विकास में भारत के लोग कंप्यूटर साइंस में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गोपाल तिवारी ने कहा कि जब तक शिक्षा की जिम्मेदारी का निर्वहन समाज कर रहा था तब तक शिक्षा विकार मुक्त रही। जब शिक्षा का नियंत्रण सरकारी हो गया तो शिक्षा की स्थिति सोचनीय हो गई। ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में देखा जाए तो शिक्षा को मुगलों द्वारा मैकाले द्वारा बहुत ही नुकसान पहुंचाया गया। हमारे देश की भाषा, रहन-सहन विचार भाव सभी को विखंडित किया। इनका मानना था कि शिक्षा राष्ट्रीय होनी चाहिए विद्या ग्लोबल होनी चाहिए। अन्य वक्ताओं में महेंद्र तिवारी बृजेश पांडेय, रमाकांत पांडेय, जी एन पाठक, विजयलक्ष्मी सिंह, अनीता कुशवाहा, पूजा राय इत्यादि ने भी अपने विचार व्यक्त किया।


कार्यक्रम का संचालन डॉ मानिक चंद पांडेय तथा धन्यवाद ज्ञापन गुलाब सिंह के द्वारा किया गया। इस आयोजन में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ,केंद्रीय विद्यालय शक्तिनगर, सेंट जोसेफ विद्यालय शक्तिनगर ,विवेकानंद सीनियर सेकंडरी विद्यालय, विवेकानंद शिशु मंदिर विद्यालय, राजकीय इंटर कॉलेज, अंबेडकर विद्यालय शक्तिनगर, लायंस स्कूल शक्तिनगर, गौतम बुद्ध स्कूल बस स्टैंड शक्तिनगर, कंपोजिट विद्यालय चिल्कटांड बस्ती, प्राइमरी विद्यालय परसवार राजा इत्यादि विद्यालयों के शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

इस आयोजन में रमा वर्मा, माया, गीता सिंह, रोशनी, ज्योति, संध्या कुमारी, मनोरमा, मुकेश रेल, सीताराम, बृजेश श्रीवास्तव, संजय सिंह, प्रदीप कुमार, सुरेंद्र कुमार, मायाराम गुप्ता, अशोक पांडेय, सुरेश्वर मिश्र, अभय तिवारी, सरफराज अहमद, ओमप्रकाश गुप्ता, अवधेश, अंकित कुमार लोग उपस्थित रहे।

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