- एचआरपी दिवस पर जन औषधि केंद्र में महिलाओं को थमाईं महंगी दवाएं
- मुफ्त दवाइयों के बजाय निजी कंपनियों की महंगी जेनेरिक दवाओं की बिक्री
- खीरों सीएचसी में खुलेआम बिक रही निजी कंपनियों की प्रतिबंधित दवाइयां
रायबरेली। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र का उद्देश्य है सस्ती और गुणवत्तापूर्ण दवाइयां आम जनता को उपलब्ध कराना। लेकिन खीरों सीएचसी के अंदर संचालित जन औषधि केंद्र पर एचआरपी (उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था) दिवस पर इसका ठीक उल्टा नज़ारा देखने को मिला। यहां मंगलवार को जांच-पड़ताल और इलाज के लिए पहुंची कई गर्भवती महिलाओं को महंगी जेनेरिक दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ा।
मंगलवार (9 तारीख) को आयोजित एचआरपी दिवस पर गर्भवती महिलाओं को आवश्यक दवाएं मुफ्त मिलनी चाहिए थीं, लेकिन इसके विपरीत महंगी मल्टीविटामिन सिरप, आयरन टॉनिक और लिवर टॉनिक बेचे गए।
डोंडेपुर गांव की विजयलक्ष्मी (26 वर्ष) को डॉक्टर द्वारा आयरन की टैबलेट, मल्टीविटामिन सिरप और यूटरिन टॉनिक लिखी गई। लेकिन जन औषधि केंद्र से केवल दो दवाएं दी गईं और 250 रुपये वसूले गए।
जबकि वही दवाएं जन औषधि केंद्र पर वास्तविक कीमत सिर्फ 110 रुपये थी। वही नोनेरा गांव की रामकुमारी (32 वर्ष) को आयरन और लिवर टॉनिक के बदले 230 रुपये चुकाने पड़े। जबकि वास्तविक कीमत केवल 100 रुपये थी। यानी महिलाओं को दोगुने से भी ज्यादा दाम चुकाने पड़े।
डॉक्टरों की भूमिका सवालों में
इस दिन सीएचसी में तैनात डॉ. अर्चिता वर्मा और आरबीएसके की संविदा चिकित्सक डॉ. ज्योति की देखरेख में मरीजों का इलाज हुआ। उनके पर्चे पर लिखी दवाओं में से कई महंगी जेनेरिक दवाएं थीं, जिन्हें निजी कंपनियों से खरीदकर बेचा गया।
मनमानी का अड्डा बना जन औषधि केंद्र
नियमों के अनुसार जन औषधि केंद्र पर सिर्फ सरकार द्वारा तय ब्रांड की दवाइयां ही बेची जा सकती हैं। लेकिन खीरों सीएचसी में आयरन टॉनिक, मल्टीविटामिन सिरप, लिवर टॉनिक, नैसेल ड्रॉप और दर्जनों अन्य निजी कंपनियों की महंगी दवाइयां स्टॉक में रखी गई हैं।
रोगियों का कहना है कि कभी डॉक्टर के पर्चे पर तो कभी बिना पर्चे के भी इन दवाओं को थमाकर उन्हें लूटा जा रहा है।
एचआरपी दिवस पर नियमों की अनदेखी
हर महीने की 1, 9, 16 और 24 तारीख को सीएचसी पर एचआरपी दिवस आयोजित किया जाता है। इस दिन गर्भवती महिलाओं को खून व पेशाब की जांच के साथ दवाइयां मुफ्त मिलनी चाहिए। मगर मंगलवार को कई महिलाओं को महंगी दवाएं खरीदने के लिए विवश होना पड़ा, जिससे सरकार की योजना का उद्देश्य पूरी तरह ध्वस्त होता नजर आया।
पहले भी खुल चुके हैं मामले
जिला अस्पताल रायबरेली में जन औषधि केंद्र पर निजी कंपनियों की दवाएं बिकते हुए पकड़ी गई थीं।बछरावां सीएचसी में भी रोगियों से महंगी दवाओं के नाम पर वसूली होती रही है। खास बात यह है कि तीनों जन औषधि केंद्र का वेंडर एक ही व्यक्ति है।
यह स्थिति इस बात की ओर इशारा करती है कि जिला स्तर पर जन औषधि योजना में गंभीर अनियमितताएं हो रही हैं।