29 सितंबर, 2008 को, उत्तरी महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता प्रज्ञा ठाकुर के वकील ने 3 अक्टूबर को मुंबई की एक विशेष अदालत के समक्ष दलील दी कि 2008 के मालेगांव विस्फोट के पीछे प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का हाथ हो सकता है। बचाव पक्ष फिलहाल राष्ट्रीय जांच एजेंसी मामलों के विशेष न्यायाधीश एके लाहोटी की अदालत में मामले में अंतिम दलीलें दे रहा है।
29 सितंबर, 2008 को, उत्तरी महाराष्ट्र में मुंबई से लगभग 200 किलोमीटर दूर मालेगांव शहर में एक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए। वकील मिश्रा ने यह दावा किया जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो लोग पुलिस की मदद करते हैं. हालांकि इस मामले में घटना के तुरंत बाद बड़ी संख्या में लोग मौके पर जमा हो गए और पुलिस पर पथराव कर उन्हें विस्फोट स्थल पर पहुंचने से रोक दिया.
उन्होंने कहा, ऐसा अपने लोगों (सिमी से जुड़े) की सुरक्षा के लिए किया जा सकता था। वकील ने तर्क दिया कि सिमी का कार्यालय विस्फोट स्थल के पास स्थित था जहां कथित तौर पर बम बनाए गए थे। यह संभव है कि वे (सिमी के लोग) दोपहिया वाहन पर विस्फोटक ले जा रहे थे जब दुर्घटनावश विस्फोट हुआ। हालांकि, जांचकर्ताओं ने दावा किया था कि मोटरसाइकिल प्रज्ञा ठाकुर की थी।