रायबरेली: रेप पीड़िता को नहीं मिल रहा न्याय, FIR दर्ज न होने से पुलिस की कार्यशैली पर उठे सवाल

सद्दीक खान

September 12, 2025

  • न्याय की उम्मीद में दर-दर भटक रही रेप पीड़िता, लगातार मिल रही धमकियों से दहशत का माहौल
  • पैसे और दबदबे के बल पर मामले को दबाने की कोशिश, पुलिस की लापरवाही और संवेदनहीन रवैये से महिलाओं की सुरक्षा पर उठे सवाल

रायबरेली। प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। कभी छेड़छाड़, कभी गैंगरेप और कभी हत्या जैसी घटनाएं प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। कई जिलों में पुलिस पर एफआईआर दर्ज न करने और पीड़िताओं को न्याय न दिलाने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसा ही एक मामला रायबरेली जनपद के खीरों थाना क्षेत्र में सामने आया है।

एक गांव की रहने वाली युवती ने दुकनहां गांव निवासी युवक पिंटू सिंह पर रेप का आरोप लगाया है। पीड़िता का कहना है कि घटना के दौरान तीन अन्य लोग भी शामिल थे, जिनमें से एक गांव की मौजूदा प्रधान का पति बताया जा रहा है।

पीड़िता ने बताया कि 09 सितंबर की रात करीब 10:30 बजे पिंटू सिंह उसके घर आया और कोल्डड्रिंक पिलाने के बहाने उसे बाइक पर बैठाकर ले गया। पहले सुनसान जगह पर छेड़छाड़ की कोशिश की और विरोध करने पर उसे एक गौशाला ले गया। वहां से उसने अपने साथियों रामबरन साहू (प्रधान पति) और रामसरन को फोन करके बुलाया।

थोड़ी देर बाद दोनों मौके पर पहुंचे और पीड़िता को धमकाने लगे। इसके बाद उसे बाइक पर बैठाकर पूरे पासिन निवासी रमेश पुत्र महादेव के कमरे में ले जाया गया। वहां पिंटू सिंह ने उसके साथ जबरन रेप किया, जबकि अन्य आरोपी बाहर खड़े होकर दबाव बनाते रहे।

पीड़िता ने 10 सितंबर की सुबह ही खीरों पुलिस को तहरीर दी थी। लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी FIR दर्ज नहीं की गई। पीड़िता और उसके परिवार का आरोप है कि पुलिस मामले को दर्ज करने के बजाय समझौते का दबाव बना रही है।

परिजनों का कहना है कि आरोपी प्रधान पति पैसे और दबदबे के बल पर अपना नाम हटवाने की कोशिश कर रहा है। पीड़िता ने मामले की शिकायत क्षेत्राधिकारी लालगंज से भी की है।

पुलिस पर सवाल

फिलहाल पुलिस ने केवल दो आरोपियों को हिरासत में लिया है, जबकि प्रधान पति और मुख्य आरोपी अब भी खुलेआम घूम रहे हैं और पीड़िता को लगातार धमकियां भिजवा रहे हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई करे तो आरोपी आसानी से पकड़े जा सकते हैं। लेकिन पुलिस की लापरवाही और संवेदनहीन रवैया इस गंभीर अपराध को दबाने की कोशिश के रूप में सामने आ रहा है।