ब्यूरो चीफ संतोष कुमार रजक सोनभद्र
शक्तिनगर(सोनभद्र)। साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर द्वारा सातवां स्थापना दिवस समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का श्री गणेश अतिथियों एवं उपस्थित सदस्यों द्वारा मां सरस्वती के छाया चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि से हुई।
उपस्थित सदस्यों एवं अतिथियों का स्वागत सोन संगम के कार्यकारी अध्यक्ष विजय कुमार दुबे ने किया उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि,सोन संगम एक ऐसी संस्था है जो साहित्य सृजन के साथ-साथ समाज से सीधा सरोकार रखती है।
सोन संगम के अध्यक्ष डी के सारस्वत, महाप्रबंधक, एनटीपीसी शक्तिनगर ने कहा कि सोन संगम अपने उद्देश्य के प्रति कटिबद्ध है और नित्य प्रति नित्य सकारात्मक कार्यों की ओर अग्रसर है।कम समय होने के बाद भी इस संस्था ने जो मंजिल अब तक तय की है वह संतोष जनक है।
सोन संगम के सचिव डॉ मानिक चंद पांडेय पांडेय ने बताया कि सोन संगम इस क्षेत्र की एक मात्र ऐसी संस्था है, जो प्रति माह कोई न कोई साहित्यिक, सामाजिक आयोजन के अंतर्गत नवोदित कवियों, साहित्यकारों इत्यादि को खोज कर सोन संगम का मंच प्रदान करती रहती है।
डॉ योगेन्द्र मिश्र ने सोन संगम की साहित्यिक सामाजिक गतिविधियों के प्रति अपना पारितोषिक व्यक्त किया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सोन संगम के स्थापित सदस्य चंद्रशेखर जोशी ने सोन संगम की गतिविधियों के प्रति अपनी प्रसन्नता व्यक्त किया।
उनका मानना था कि सोन संगम केवल साहित्य सृजन में रत नहीं रहती है,अपितु सामाजिक सरोकार भी रखती है। अन्य वक्ताओं में डॉ अनिल कुमार दुबे,डॉ छोटेलाल प्रसाद,अनिल चतुर्वेदी,सरस सिंह इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर काव्य संध्या का भी आयोजन किया गया।
जाने माने सोनभद्र के वयोवृद्ध कवि कृपा शंकर माहिर मिर्जापुरी ने अपने भाव इन पंक्तियों में प्रस्तुत किया, जन्नत की चाहत मे फिदायीन बने,इंसानियत को बिल्कुल भुला दिया।कमबख्त सिर फिरे दहशत गर्दो ने,जन्नत ए कश्मीर को दोजख बना दिया।
इसी क्रम में नवोदित रचनाकार प्रिया गुप्ता ने अपनी पंक्तियां लोगों के समक्ष इस अंदाज में बयां किया है,एकता की मजबूत कड़ी सोन संगम की ज्योति बड़ी हर साल एक नई सफलता के दीप जलाए चलो इस संस्था को और आगे बढ़ाएं।
अपनी ग़ज़ल एवं कवी के लिए मशहूर बहर बनारसी में इस मौके पर कुछ इन पंक्तियों को पेश किया,देशभक्ति जो जान से जाए, जन्नत में वह शान से जाए, जो गद्दार है भारत मां का मेरे हिंदुस्तान से जाए श्रीमती विजयलक्ष्मी पटेल ने अपने मधुर स्वर में इन पंक्तियों को प्रस्तुत किया, आइल मोरी सखिया बसंत बहार हो, खेतवा में झुलेला सरसों का फुलवा। गुलशन पर चलेला रंग अपार हो,आइल मोरी सखिया बसंत बहार हो।
काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे डॉ योगेंद्र मिश्र ने अपनी बहुचर्चित कविता,, हवा ही हवा है, हुआ कुछ नहीं है,, प्रस्तुत करके लोगों को मत मुक्त कर दिया। इस कार्यक्रम में माहीर मिर्जापुरी का जन्मदिन मनाया गया तथा अनिल चतुर्वेदी वरिष्ठ प्राध्यापक हिंदी, विवेकानंद माध्यमिक विद्यालय हिंदी को सोन संगम की ओर से सम्मानित किया गया।
धन्यवाद ज्ञापन गुलाब सिंह ने किया। इस कार्यक्रम में बद्री प्रसाद विमल शर्मा, डॉ दिनेश कुमार, डॉ रणवीर सिंह, डॉ संतोष कुमार सिंह, अक्षय लाल, मनीष कुमार, वीरभद्र पटेल, रीता पांडेय,गीता सिंह, वर्षा कुमारी,
खुशबू, सहाना, नेहा, कुमारी मनोरमा, पूजा साहनी, अवधेश कुमार, अंबरीश कुमार, आरती सिंह, शिव कुमार सविता, सौम्या स्वाति, श्रवण कुमार हाजी वकील अहमद अंसारी, अजमत अली, अंकित कुमार, पवन कुमार इत्यादि लोग उपस्थित रहे।