चहनियाँ विकास खंड अंतर्गत स्थित रामगढ में लोकनाथ महाविद्यालय के स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने पर रजत जयंती समारोह का आयोजन किया गया।इस अवसर पर प्रतियोगी प्रतिस्पर्धा पुरस्कार वितरण का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ।
सरस्वती के अमर साधक, भूतपूर्व विधायक, शिक्षा विद, समाजसेवी स्व; लोकनाथ सिंह जी की पुण्यतिथि तथा रजत जयंती बडे हर्षोउल्लास व धूमधाम के साथ मनाई गई। बाबू लोकनाथ सिंह जी का जन्म 9 अप्रैल सन 1905 चंदौली जनपद के रामगढ़ गांव मे हुआ इनके पिता जी का नाम रामप्रसाद सिंह जी था।
शुरू से ही आप जुझारू, हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वालों में से एक थें, इन्होंने शिक्षा क्षेत्र में, समाजिक क्षेत्र में, तथा राजनीती क्षेत्र में अपनी
प्रतिभा का लोहा मडवा लिया था आपने देश को आजादी दिलाने, शिक्षण संस्थान की स्थापना, तथा लोगों की सेवा में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया।
अंग्रेजो से आन्दोलन करने मे आपको जेल भी जाना पडा लेकिन जेल की शलाखें आपके हौसला के आगे टिक न सकीं।
शिक्षा को बुलंदी तक ले जाने के लिए आपने कई विद्यालयों की स्थापना भी की देश सेवा करते भारत के महान विभूति ने अपने प्राण ईश्वर के चरणों में अर्पित कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि ने माँ सरस्वती तथा लोकनाथ सिंह जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने नाटक, कविता, भजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से नेताजी के जीवन के किरदार को जीवंत किया।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों ने छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम की जमकर तारीफ की तरह तालियों के साथ स्वागत किया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद वीरेंद्र सिंह ने अपने अतिथि उद्बोधन में कहा कि बाबू लोकनाथ सिंह जी एक अमिट हस्ती थे आप में बाल्य काल से ही एक नेता की छवि झलक रही थी।
आप जब किशोर थे तभी से आप गांधी जी के विचारों से प्रभावित थे, किशोरावस्था में ही आपने अंग्रेजों के खिलाफ वंदे मातरम का नारा बुलंद किया जिसके परिणाम स्वरुप आपको जेल भेजा गया, रातभर लाठी डंडों से पिटा गया जब आप मूर्छित हो गए तब आपके ऊपर ठंडा पानी फेंका गया, जख्मों पर नमक रगड़ा गया दर्द की पीड़ा से आप रात भर कराहते रहें।
सभी क्रांतिकारियों को दूसरे जेल में शिफ्ट कर दिया गया लेकिन आप किशोर थे इसलिए आपको छोड़ दिया गया लेकिन आजादी के दीवानों को कौन रोक सकता है। जब भी आप क्रांतिकारियों को वंदे मातरम बोलते देखते थे आप भी उनके साथ हो लेते थें।
विशिष्ट अतिथि रहें श्री प्रभु नारायण सिंह यादव जी माननीय विधायक सकलडीहा चंदौली, मुख्य वक्ता श्रीमती रागिनी सोनकर माo विधायक मछली शहर जौनपुर चिकित्सक एम्स नई दिल्ली सभी ने नेताजी के जीवन शैली पर प्रकाश डाला तथा उनके विचारों से सभी प्रबुद्ध जनों को सिचिंत होने का आह्वान किया. ऐसे महान वीर कभी मरते नहीं ब्लकि हमेशा हमारे दिलों में जीवंत रहते हैं।
आपके द्वारा किया गया एक एक काम इतिहास के पन्नों में अमिट है। इस कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर संत कुमार त्रिपाठी पूर्व विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग पीजी कॉलेज सकलडीहा चंदौली, स्वागताकांक्षी डॉक्टर हरिश्चंद्र सिंह पूर्व उपाध्यक्ष AIFUCT, निवेदक लोकनाथ स्नाकोत्तर महाविद्यालय परिवार, संचालक डॉक्टर विनय कुमार सिंह, अतिथि सम्मान धनंजय सिंह जी ने किया।
इस मौके पर मुख्य रूप से,अखिलेश अग्रहरि, प्रवीण श्रीवास्तव नंदू गुप्ता,डाँ सरिता मौर्या, कुलदीप मौर्या, सत्येंद्र सिंह शाहिद जमाल, वैश अहमद, शैलेन्द्र सिंह, विजयी सिंह वकील, कपिलदेव सिंह, रमेश चौरसिया, दीनानाथ पाण्डेय, अखिलेश अग्रहरि, आर बी यादव, रिजवान अहमद, प्रेमलाल श्रीवास्तव, अभय कुमार पीके, अमृत प्रकाप्रकाश सिंह, अरविन्द सिंह, मुकेश निषाद, निलेश जायसवाल, कपिल गुप्ता, योगेंद्र शर्मा, डाँ उमेश सिंह,देवेन्द्र सिंह,रितेश पाण्डेय, अशोक मौर्या,आदि गणमान्य उपस्थित रहें।