रायबरेली। शहर रायबरेली की मशहूर मरकज़ी दरगाह मरकज़े अहले सुन्नत दारुल उलूम हबीबिया गुलशने रज़ा लिलबनात का दसवां वार्षिक समारोह ‘जश्ने ख़त्मे बुख़ारी शरीफ व रस्मे रिदाये फज़ीलत व किरात’ का बहुत भव्य आयोजन नई बिल्डिंग मरकज़े अहले सुन्नत दारूल उलूम हबीबिया गुलशने रज़ा लिलबनात अनवर नगर में हुआ। कारिया शमा बानो की तिलावत से कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ।
आलिमा शाज़िया बानो व खुशबू बानो ने संचालन किया।
छात्राओं में शमा सरवर, सुमैया बानो, सबीहा अनवर गुल, सानिया मुश्ताक़, आलिमा गौसिया जमील, आलिमा तसलीम पेशकार, खुशमीन बानो, खुशबू तौफीक, आलिमा फिज़ा रमज़ान, आलिमा साइबा अमीन, आलिमा जे़बा ज़ीनत, और मोअल्लिमा तैसीरून निसा, रूकय्या ज़हरा अमजदी, गुलिस्तां बानो हबीबी, शायरा कनीज़ आयशा रज़वी, सूफी फातिमा हबीबी ने हम्द, नात व मनक़बत पेश किया।
आलिमा अरशी फातिमा, आलिमा तहसीन फातिमा, मन्तशा अब्दुल रज़्ज़ाक़ ने एक के बाद एक उर्दू, अरबी और अंग्रेजी में भाषण दिया व सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया। मोअल्लिमा बुशरा अनीस कुरैशी साहिबा ने प्रारंभिक भाषण दिया। उसके बाद मऊ से तशरीफ लायीं आलिमा फाज़िला ख़तीबा गुलिस्तां अन्जुम साहिबा ने महिलाओं को सम्बोधित करते हुये मज़हबे इस्लाम के प्रचार व प्रसार में महिलाओं की भागीदारी को विस्तृत रूप में पेश किया, हज़रत खदीजा, हज़रत आयशा, हज़रत हफसा जैसी कई सहाबियात के इल्म व कारनामों को बयान कर महिलाओं को भी आलिमा फाज़िला बनने की गुज़ारिश की।
मुफ्ती फैयाज़ अहमद बरकाती मिस्बाही ने मशहूर किताब ‘‘बुख़ारी शरीफ’’ की आखिरी हदीस पढ़ाकर फारिग़ होने वाली छात्राओं को बुखारी शरीफ पूरा कराया और अपने बयान में कुरान पढ़ने और न पढ़ने वालों को नबी ने जो चार भागों में बांटा है उसको विस्तारपूर्वक बयान किया।
इसके बाद रस्मे रिदाये फज़ीलत व क़िरात का काम हुआ और दारूल उलूम लिलबनात से 32 फारिग़ात को मखदूमा आले रसूल साहिबा, सरवरी बेगम साहिबा और दीगर मुअल्लिमात के हाथों सनद व चादर, गुलपोशी की गयी और परीक्षा में प्रथम,, द्वितीय, तृतीय आने वाली छात्राओं को इनाम दिये गये।
आखिर में दारूल उलूम के सरपरस्त हज़रत अल्लामा मौलाना सैयद मो0 अहमद अशरफ जीलानी जायसी साहब ने कहा कि खत्म बुखारी शरीफ की महफिल की बरकत से हर नेक और जायज दुआ कुबूल होती है। आपने आये हुये मेहमानों और शिक्षा पूरी कर चुकी छात्राओं का शुक्रिया अदा करते कहा कि मां बाप बहुत ही धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने अपनी बेटियेां को हम पर भरोसा कर हमारे हवाले किया और आज की फारिगात कल समाज का भविष्य बनेंगी। आप की दुआ पर जलसे का समापन हुआ।
इस मौके पर शहर व आसपास की लगभग 5000 से ज़्यादा महिलाओं ने शिरकत की। आयी हुयी महिलाएं छात्राओं की मेहनत, अध्यापिकाओं की सेवा, लिलबनात के सरपरस्त सैय्यद साहब की नवाज़िश, प्रबन्धक हाफिज़ अनीस अहमद कुरैशी की मेहनत, लगन, कुर्बानी व सेवा भाव से बहुत प्रभावित हुईं।
इस मौके पर मौलाना तसव्वर, मुफ्ती फैयाज, हाफिज़ सुहैल अख़्तर काजी शहर, हाफिज़ मो0 मुश्ताक, हाफिज़ मो0 कमर रज़ा, हाफिज़ बहाउद्दीन, हाफिज़ इज़हार, हाफिज़ शाहरूख़, हाफिज़ मो0 इमरान, कबीर अहमद फारूकी, मास्टर एजाज़, इमरान वारसी, हाजी मो0 आज़म खान, राजा घोसी, हाजी वासिफ कलीम, चांद फारूकी, हाफिज़ अब्दुल मोबीन, सैयद मो0 आमिर, मो0 हसनैन उर्फ शानू, एैश भाई, शकील भाई, हाजी मो0 इलियास उर्फ मन्नी पूर्व चेयरमैन, मो0 अतरह जगदीशपुर, हाजी नूर आलम फैज़ाबाद, हाजी फख़रे आलम, हाजी सादिक कुरैशी, मकसूद आलम फैज़ाबाद, कौसर आसिम फैज़ाबाद, अब्दुल मन्नान, मो0 तनवीर (शक्तिमान) के साथ साथ बहुत से लोगों ने शिरकत किया।