सप्ताहिक भागवत कथा ज्ञान यज्ञ 09 मई से 15 मई तक कथा वाचक बाल व्यास पंडित श्री श्याम सुंदर शास्त्री जी के मुखारविन्द से श्री मदभागवत सप्ताहिक ज्ञान यज्ञ भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है
जिसके पूर्व में गुरुवार के दिन नगर के गायत्रीशक्ति पीठ से भव्य कलश यात्रा निकाली गई जो मुख्य मार्ग चौराहा से होते हुए हरदौल चैक गौरीशंकर वार्ड कथा स्थल पंहुची जहां कलश की स्थापना विधि-विधान से पूजन अर्चन किया गया इस विशाल कलश यात्रा में पीताम्बर वस्त्र धारण किए अपने सिर पर कलश लिए महिलाएं एवं युवतिया कलश यात्रा में शामिल रही कलश यात्रा के साथ हुआ श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ,
हटा के गौरीशंकर वार्ड हरदौल चैक बाबा प्रांगण पर सप्ताहिक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजनकलश यात्रा दोपहर में गाजे बाजे के साथ प्रारंभ होकर गायत्री शक्तिपीठ मंदिर से प्रारम्भ हुई जहां पर विधि विधान के साथ कथा का शुभारंभ किया गया कथा के दौरान प्रथम दिवस कथा व्यास पंडित श्याम सुंदर शास्त्री जी महाराज ने भागवत कथा सुनाते हुए कहा कि
भागवत कथा एवं कथा में कितने शब्द होते हैंउसका विस्तार से वर्णन कियायदि मनुष्य तन हमें मिला हैशास्त्री जी ने कहा कि जिस दिन भगवान के चरणों में मन लग जाएगा उसी दिन से कोई भी अभाव नहीं रहेगा क्योंकि भगवान भाव रूपी है चित्र में जब तक संसार है तब तक ही सभी चीजों का अभाव हैसंसार में केवल मानव सामर्थ दुआओं से अपने कल्याण के रास्ता प्राप्त कर सकता है उन्होंने कहा कि श्वेता जब भागवत कथा में आता है जीवन की व्यथा से मुक्त होकर चिंता रहित हो जाता है व्यक्ति का जैसा नाम होता है वैसा ही उसके जीवन में प्रभाव होता है व्यक्ति अपने कर्मों से ही दुखी रहता है वह जैसा कर्म करता है वैसा ही उसका जीवन बदलता हे उन्होंने कथा में आगे बताया कि संसार में कोई भी व्यक्ति सुखी नहीं है जिस व्यक्ति को संतान नहीं होती वह व्यक्ति दुखी होता है और संतान होने के बाद यदि वह अच्छी न निकले तो वह और ज्यादा दुखी रहता है इसलिए मनुष्य को पुत्र मोह नहीं करना चाहिए इसी प्रकार यह शरीर भी अपना नहीं है
शरीर पांच तत्वों से बना है और पंचतत्व में ही विलीन हो जाता है इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में सत्कर्म और धर्म की राह पर चलकर हमेशा प्रभु का भजन करते रहना चाहिए यही जीवन का सार है।