जांजगीर चांपा (मानवाधिकार मीडिया) जांजगीर का भाग्य अधूरा है, विकास की कोई भी योजनाएं सरकार लाती है, तो वह पूरी नहीं हो पाती, जनता को उसका लाभ नहीं होता, जांजगीर का भाग्य अधूरा नहीं है, यहां पर कुछ ऐसे भ्रष्टाचारी हैं, जो अंगद की तरह अपना पांव जमाये बैठे हैं, उनके भ्रष्ट कदमों के नीचे सरकार की चेष्टाएं और जनता की उम्मीदें दोनों ही दब के चूर-चूर हो जाती हैं। हम बात कर रहे हैं जांजगीर जिले के खनिज विभाग की, शायद जांजगीर जिले का जो खनिज विभाग है, वहां से साधारण खनिज नहीं निकलता, लगता है कि विभाग सोना ही उगलता है, तभी तो एक अदना सा बाबू (सहायक ग्रेड टू) जो अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी पाया है, वो कुछ ही वर्षों में अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा है, और बड़े-बड़े अधिकारियों को अपनी उंगलियों पर नाचता है, न जाने ऐसी कौन सी जादुई छड़ी है, उस बाबू के पास कि आने वाला हर अधिकारी उसके इशारों पर नाचता है। कहते हैं ना कि दूध देने वाली गाय की लात भी अच्छी लगती है। वैसे ही जिस विभाग का बाबू अपने अधिकारियों के लिए पैसे कमा कर देगा, पैसों की खनक किसे अच्छी नहीं लगती, इसलिए बाबू की हर गलत बात अधिकारियों को सही लगती है और वह आंखें बंद किए रहते हैं। खनिज विभाग में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा पार हो गई है। एक बाबू जो कोरबा से आया और 2014 से आज 2024 आ गया है, अंगद की तरह खनिज विभाग में पैर जमा कर बैठा है, लेकिन आज तक उसका न तबादला हुआ न ही उसके भ्रष्टाचारों पर किसी की दृष्टि गई। मीडिया में इसकी शिकायत प्राप्त हुई तो हमारे एक पत्रकार भाई ने फोन लगाया हमारे पत्रकार के फोन लगाने पर उस बाबू ने फोन में बात करने से इंकार कर दिया और जब दोबारा फोन लगाया गया तो उसने फोन अपनी पत्नी को पकड़ा दिया, आश्चर्य तो तब हुआ जब उसकी पत्नी ने पत्रकार को एक महिला होने के नाते धमकाया और कहा कि तुम फोन करके मेरे पति को परेशान कर रहे हो, उन्हें कुछ हो गया तो मैं तुम पर एफ.आई.आर. करुंगी, और मैं तुम्हें फसाऊंगी जेल में डलवा दूंगी। मैंने आज तक मातृशक्ति को दया और करुणा से भरे हुए देखा था, मगर मातृशक्ति ही पत्नी और मां बनकर भ्रष्टाचारियों की संरक्षक बन जाए तो फिर घरों से भ्रष्टाचारी ही निकलेंगे। अगर ऐसी मातृ शक्ति का संरक्षण किसी भ्रष्टाचारी को प्राप्त हो, तो वह भ्रष्टाचार करेगा ही, शायद बाबू की जो पत्नी हैं, वो भी लोभ से भरी हुई हैं, इसलिए इस भ्रष्टाचार में उनकी भी बराबर की हिस्सेदारी है। उनसे पूछा गया कि आपके पास इतनी संपत्ति कहां से आई तो उन्होंने बताया कि हम तो पहले से ही बहुत बड़े घराने से हैं। हमारे पास पूर्व से ही इतनी संपत्ति है। जहां तक मुझे मालूम है की अनुकंपा नियुक्ति जीवन यापन करने के एक साधन के रूप में, सरकार प्रदान करती है, किन्तु जो व्यक्ति पूर्व से ही धन संपन्न है वैसे व्यक्तियों को अनुकंपा नियुक्ति की आवश्यकता ही क्या है और यदि आवश्यकता ही नहीं है तो ऐसा परिवार अनुकंपा नियुक्ति से नौकरी को ग्रहण क्यों करेगा ? आज तक मैंने किसी बड़े व्यापारी, या बड़े घराने के लोगों को अनुकंपा नियुक्ति में नौकरी करते नहीं देखा। अब यह जांच का विषय है कि क्या इनके पास पूर्व से ही इतनी संपत्ति थी क्योंकि एक साधारण सा सहायक ग्रेड टू,खनिज विभाग का बाबू आज अकूत संपत्ति का मालिक है तो उसके पास इतनी संपत्ति कहां से आई क्या वह पूर्व से ही इतनी संपत्ति का मालिक था? यदि था तो जांच हो और नौकरी से पूर्व उनकी कितनी संपत्ति थी, उनकी पत्नी, उनके भाई इनके घर वालों के नाम और उनके ससुर, साला आदि ससुरालवालों के पास, कितनी सम्पत्ति थी, पृथक से इसकी जांच की जाए और नौकरी के बाद यह संपत्ति कितनी हुई.? इसकी स्पष्ट जांच होनी चाहिए। क्या बाबू और उनकी पत्नी जिन्होंने भ्रष्टाचार कर जनमानस को क्षति पहुंचाई है, जिन्होंने अपने भ्रष्टाचार से लोगों को आर्थिक और मानसिक प्रताड़ना दी है, अगर उनकी प्रताड़ना और हमारे पत्रकार भाई को या किसी अन्य प्रभावित व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो क्या यह दोनों मियां बीवी उसकी जिम्मेदारी लेंगे। मेरी सरकार से गुजारिश है कि इसे एक समाचार न समझें, इसे निवेदन समझे और तत्काल ऐसे भ्रष्ट बाबू पर जांच बैठाएँ कांग्रेस की सरकार भ्रष्टाचारियों का समर्थन करती है, ऐसा जनता के बीच संदेश गया था तभी जनता ने सत्ता परिवर्तन कर भाजपा को सत्ता सौपा है और भाजपा को जनता का ही नहीं, बल्कि साधु संतों का भी पूरा समर्थन प्राप्त है यदि भाजपा सरकार भी ऐसे भ्रष्टाचारियों पर आंखें बंद करके बैठेगी तो जनता सब देख रही है जनता को समझते देर नहीं लगेगी की इस सरकार को भी भ्रष्टाचार की कमाई अच्छी लगती है। यदि सरकार जनता का हित चाहती है तो ऐसे वर्षों से अंगद की तरह एक ही जिले में पाँव जमाके, एक स्थान में बैठे बाबू और अधिकारियों पर कार्यवाही करें और गहराई से उनके संपत्ति, व भ्रष्ट क्रियाकलापों की जांच की जाए ताकि जनता के सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाये, और जनता को ऐसे भ्रष्टाचारियों से मुक्ति मिल सके।
(Bhupendra Kumar Dewangan) Deputy Bureau Chief Chattishgarh