- भविष्य में वैचारिक क्रांति या शासन की शक्ति नहीं तो कुदरत जब शक्ति करेगी तो मजबूरन अंडा, मछली, मांस, शराब छोड़ेंगे
शकील अहमद
लखनऊ। वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि कोई मांस खाते हो, मत खाना। आप अगर खाना बंद कर दोगे जो जानवर आपकी (मांस की मांग की) पूर्ति करने के लिए कटेगा, उसकी जान बच जाएगी। पूरे विश्व को लोग अभी शाकाहारी हो जाएं। (नहीं तो) आगे चल करके मजबूरन होंगे। वैचारिक क्रांति (होगी जिससे) समझाने पर बदलेंगे, नहीं बदलेंगे तो शासन की सख्ती होगी तब वह बदल जाएंगे। नहीं तो कुदरत बदलेगी। आप खोजोगे तो इसी (भक्तों की आई हुई भारी भीड़)में मिल जाएंगे जो दस-दस क्विण्टल मछली खा करके बैठे हैं लेकिन समझ में आ गया छोड़ दिए जाएंगे।
जब कोरोना बीमारी फैली बहुत लोग मांस खाना कर दिए थे बंद
जब बीमारी फैली, कोरोना आया तब लोग मांस जल्दी नहीं खा रहे थे क्योंकि डॉक्टर लोगों ने कह दिया, मांस खाने की वजह से हुआ है। मुर्गियों की बीमारी चली तो कहो मुर्गा खाओगे? तब कहते थे तौबा-तौबा, राम-राम बोलो। मुर्गा का नाम मत लो। परिस्थितिया ऐसी आती हैं कि आदमी को बुराई छोड़ना ही पड़ जाता है। भविष्य में छोड़ना ही पड़ेगा लेकिन अभी आप छोड़ दोगे तो बहुत से जानवरों को जान बच जाएगी। दया धर्म तन बसे शरीरा। ताकर रक्षा करें रघुवीरा। बिस्मिल्ला रहमान ए रहीम, कहा गया वह रहमान दयावान है दयाबंधु है उसी के बनाए सारे जीव हैं।
जीव आपने काटा या आपकी वजह से काटा गया उसका बदला देना पड़ेगा
जीव मनुष्य शरीर पाने की कीमत नहीं समझ पाता है, खाने पीने, मौज-मस्ती में समय को निकाल देता है तब सजा जब मिल जाती है। तब इन्ही योनियों में, मुर्गा भैंसा बकरा आदि के योनि में डाल दिया जाता है। जो गल काटे और का अपना रहा कराय, साहब के दरबार में बदला कहीं न जाय। आपने काटा या आपकी वजह से काटा उसका बदला देना पड़ेगा।