शमसुलहक़ ख़ान की रिपोर्ट
अल-अजहर एजुकेशनल फाउंडेशन द्वारा लेखन एवं भाषण का आयोजन एवं वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन!
विद्यालयों में शैक्षिक स्थिरता, विद्यार्थियों को प्रेरित करने के लिए उनके बीच “पुरस्कार प्रतियोगिता एवं प्रतिस्पर्धा” का आयोजन करने से उनकी शिक्षा और प्रशिक्षण पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और बेहतर परिणाम मिलते हैं
इस दृष्टिकोण से मदरसा दारूल उलूम अहले सुन्नत फैजुन्नबी कप्तानगंज बस्ती यूपी के छात्रों में “अल-अजहर एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन कप्तानगंज बस्ती यूपी” द्वारा आयोजित कार्यक्रम में “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का एक परिचय” और “पौधे लगाने का और लाभ महत्त्व” पर लेखन और भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें चालीस से अधिक छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
मौलाना अब्बास अज़हरी, अध्यक्ष अल-अजहर एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन ने अपने भाषण में कहा कि वर्तमान युग में, विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने अनगिनत संसाधन प्रदान किए हैं। मनुष्य की सुविधा और सहजता ने विभिन्न बीमारियों और आपदाओं के लिए आपूर्ति भी प्रदान की है। आधुनिक समय में, प्रदूषण हर जगह है। हवा, पानी और ज़मीन अदि पर मौजूद अन्य जीव अपनी विशेषताएँ खो रहे हैं, जिनका अस्तित्व एक समस्या बन गया है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, समुद्री प्रदूषण और विभिन्न उद्योगों के अपशिष्ट अधिक जटिल होते जा रहे हैं, इन सभी का एकमात्र समाधान “पौधे लगाना” है, यह वायु प्रदान करने, तूफानों के बल को कम करने में मदद करेगा। जल क्षरण को रोकने, जलवायु का संतुलन बनाए रखने और ऑक्सीजन प्रदान करने के लिए भी पेड़ लगाए गए।
प्रतियोगिता परीक्षा में “डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम एक परिचय” विषय पर लिखित परीक्षा एवं “वृक्षारोपण का महत्त्व एवं उपयोगिता” विषय पर मौखिक परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य दारुलउलूम अहले सुन्नत फैजुन्नबी कप्तानगंज बस्ती के छात्रों को आधुनिक विज्ञान, विशेषकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पर्यावरण के प्रति आकर्षित करना, महत्त्वपूर्ण विषयों पर भाषण और लेखन के माध्यम से शिक्षकों की देखरेख में प्रतियोगिताएँ आयोजित करना और योग्यता के अनुसार छात्रों के बीच पुरस्कार वितरित करना है। यह प्रदर्शन छात्रों को प्रेरित करता है कि वह भविष्य में महान वक्ता और संपादक बन सकें और अपने गौरवशाली अतीत की तरह रचनात्मक और शैक्षणिक सेवाएँ प्रदान कर सकें।
मौलाना इफ़्तिख़ार खान अलीमी साहब ने फैसल का कर्तव्य निभाते हुए कहा कि इस तरह की प्रतियोगिता के आयोजन से न केवल बच्चों के बोलने और लिखने के कौशल में सुधार होता है बल्कि वे हीनता की भावना से ग्रस्त नहीं होते हैं, इस से छात्रों की क्षमताओं को यथासंभव विकसित करना है, उन्हें ऐसी क्षमताओं और गुणों को विकसित करने के अवसर प्रदान करना है जो उन्हें दूसरों से अलग कर दें, बिल्कुल उन लोगों की तरह जो गुलिस्तान में सबसे खूबसूरत फूल बन जायें ताकि इन फूलों को हर किसी द्वारा पसंद किया जाये। बच्चों को सकारात्मक तरीके से आपसी सद्भावना की भावनाओं को बढ़ावा देकर सीखने और लिखने में एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। यदि आलस्य और असावधानी से पीड़ित बच्चों को ऐसी प्रतियोगिताओं में रुचि दिखाई जाए तो आशा की किरण दिखाई देगा और उन्हें अपने हमउम्र बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा में खड़ा कर दिया जाए, तो बहुत संभव है कि प्रतिस्पर्धा के माहौल के कारण ये बच्चे आलस्य की बाधा को पार कर किसी न किसी ऊंचे स्थान पर ज़रूर चढ़ेंगे। इसलिए समय-समय पर बच्चों के बीच विभिन्न पाठ्येतर गतिविधियों के विषय पर प्रतियोगिताओं का आयोजन करना और उन्हें पुरस्कारों के माध्यम से प्रोत्साहित करना बेहद सकारात्मक परिणामों का स्रोत बनता है, भाषण और लेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन करने से वक्तृत्व एवं निबन्ध लेखन की सर्वोत्तम कला से सुसज्जित होकर वे व्यवहारिक क्षेत्र में राष्ट्र एवं राष्ट्र की बहुमूल्य सेवाएँ कर सकते हैं, समाज में परिवर्तन के लिए वाणी एवं लेखन के महत्त्व को पूर्णतया नजरअंदाज नहीं किया गया है।
अंत में मौलाना इफ़्तिख़ार खान अलीमी, मास्टर सलाम, मास्टर अब्दुल कय्यूम, मास्टर मिराज सहित सभी सफल छात्रों के हाथों प्रमाण पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आयोजक मौलाना अब्बास अजहरी साहब नें सभी लोगों का धन्यवाद प्रस्तुत किया।