माले: पड़ोसी देश मालदीव भारत से पंगा लेने के बाद गहरे वित्तीय संकट में आ गया है। हालांकि इस बीच मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने नई दिल्ली आकर पीएम मोदी से मुलाकात करके डैमेज कंट्रोल करने और भारत से रिश्ते सुधारने की पहल शुरू कर दी है। बावजूद अभी मालदीव का संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा। लिहाजा अब डॉलर संकट से जूझ रहे मालदीव ने एक नया विदेशी मुद्रा विनियमन लागू किया है। इसके तहत विदेशी मुद्रा में लेन-देन के प्रकार को सीमित किया गया है और पर्यटन प्रतिष्ठानों और बैंकों पर अनिवार्य विदेशी मुद्रा विनिमय नियंत्रण लगाया गया है।
बता दें कि पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के ‘इंडिया आउट’ अभियान के जवाब में भारतीय पर्यटकों से इस खूबसूरत द्वीपीय देश से दूर रहने के आह्वान के बाद मालदीव की अर्थव्यवस्था को झटका लगा है। पिछले महीने मालदीव इस्लामिक बॉन्ड भुगतान में संभावित चूक से बच गया, क्योंकि भारत ने उसे पांच करोड़ डॉलर का ब्याज मुक्त ऋण दिया था। विदेशी मुद्रा भंडार के आयात बिल से मेल न खाने के कारण, मालदीव के केंद्रीय बैंक मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण (एमएमए) ने एक अक्टूबर को एक नया विनियमन पेश किया, जिसके तहत पर्यटन उद्योग द्वारा उत्पन्न सभी विदेशी मुद्रा आय को स्थानीय बैंकों में जमा करना आवश्यक होगा।
मालदीव में क्या पाबंदी
अगस्त में मालदीव में डॉलर की कमी के कारण सख्त डॉलर सीमा लागू करने वाले एमएमए ने स्थानीय धिवेही भाषा में नए नियम प्रकाशित किए। विदेशी मुद्रा विनियमन (विनियमन संख्या: 2024/आर-91) के अनुसार, मालदीव के भीतर सभी लेन-देन मालदीवियन रूफिया (एमवीआर) में किए जाने चाहिए, सिवाय उन लेन-देन के जिन्हें स्पष्ट रूप से विदेशी मुद्रा में अनुमति दी गई है। एमएमए द्वारा जारी नए विनियमन और एफएक्यू के अनुसार, इसमें यह भी प्रावधान है कि वस्तुओं और सेवाओं, कार्यों के मूल्य, शुल्क, प्रभार, किराया और मजदूरी का भुगतान स्थानीय मुद्रा में किया जाएगा तथा इन लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा में बिल जारी करने पर रोक लगाई गई है।