लम्पी स्किन डिजीज बीमारी की रोकथाम के लिये पशुपालकों के लिये आवश्यक सूचना– प्रयागराज मंडल से अभिषेक गुप्ता

उत्तर प्रदेश

लम्पी स्किन डिजीज बीमारी की रोकथाम के लिये पशुपालकों के लिये आवश्यक सूचना– प्रयागराज मंडल से अभिषेक गुप्ता

लम्पी स्किन रोग गोवंशीय एवं महिषवंशीय पशुओं की विषाणु जनित रोग है। यह रोग पशुओं में मक्खी एवं मच्छरों के काटने से होता है। जनपद प्रयागराज में रोग के संरक्षण/फैलाव/प्रसार हेतु पशुपालन के कर्मियों/कर्मचारियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं का निःशुल्क टीका लगाया जा रहा है। साथ में ही पशुपालकों की सुविधा हेतु एक कंट्रोल रूम डा पी0के0 सिंह, उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, सदर, भरद्वाज, मोबाइल नं0- 8318299324 द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त रोग के संरक्षण/फैलाव/प्रसार हेतु निम्न विन्दुओं का कड़ाई से पालन कराना सुनिश्चित किया जाय।
1- लम्पी स्किन डिजीज बीमारी के लक्षण-
● पशुओं में हल्का बुखार होना, पूरे शरीर पर जगह-जगह नोड्यूल/गांठों का उभरा हुआ दिखाई देना।
● बीमारी से प्रभावित पशुओं की मृत्यु दर अनुमान 1 से 5 प्रतिशत होना।
2- बीमारी की रोकथाम एवं नियन्त्रण के उपाय-
● बीमारी से ग्रसित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना।
● पशुओं में बीमारी फेलाने वाले घटको की संख्या को रोकना अर्थात पशुओं को मक्खी, चिचड़ी, एवं मच्छर के काटने से बचाना, पशुशाला की साफ-सफाई दैनिक रूप से करना तथा Disinfectant को स्प्रे करना।
● संक्रमित स्थान की दिन में कई बार फारमैलिन/ईथर/स्पिरिट आदि से सफाई करना।
● संक्रमित पशुओं को खाने के लिये संतुलित आहार तथा हरा चारा दें।
● मृत पशुओं के शव को गहरे गड्ढे में दफनाया जाय।
3- संक्रमण से बचाव हेतु-
क- आंवला, अश्वगंधा, गिलोय एवं मुलेहटी में से किसी एक को 20 ग्राम की मात्रा में गुड मिलाकर सुबह-शाम लड्डू बनाकर खिलायें, अथवा तुलसी के पत्ते-एक मुट्ठी, दालचीनी-5 ग्राम, सोडा पाउडर-5 ग्राम, काली मिर्च- 10 नग, को गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम खिलायें।
ख- संक्रमण को रोकने के लिये पशु बाड़े में गोबर के कन्डे में गूगल, कपूर, नीम के सूखे पत्ते, लोहवान को डाल कर सुबह-शाम धुआं करें।
ग- पशुओं के स्नाान के लिये 25 लीटर पानी में एक पत्ती नीम का पेस्ट, एवं 100 ग्राम फिटकरी मिलाकर प्रयोग करें। घोल के स्नान के बाद सादे पानी से नहलायें।
4- संक्रमण होने के बाद देशी औषधि व्यवस्था-
नीम के पत्ते-एक मुटठी, तुलसी के पत्ते-एक मुटठी, लहसुन की कली-10 नग, लौंग-10 नग, काली मिर्च-10 नग, जीरा-15 ग्राम, हल्दी पाउडर-10 ग्राम, पान के पत्ते-5 नग, छोटे प्याज-2 नग पीस कर गुड़ में मिलाकर सुबह-शाम 10 से 14 दिन तक खिलायें।
5- खुले घाव के देशी उपचार-
नीम के पत्ते- एक मुटठी, तुलसी के पत्ते-1 मुटठी, मेंहदी के पत्ते-1 मुटठी, लहसुन की कली-10 हल्दी पाउडर-10 ग्राम, नारियल का तेल-500 मिली0 को मिलाकर धीरे-धीरे पकायें तथा ठण्डा होने के बाद नीम के पत्ती पानी में उबाल कर पानी से घाव साफ करने के बाद जख्म पर लगायें।
6- किसी भी पशु में बीमारी होन पर नजदीक के पशु चिकित्सालय पर संपर्क करके उपचार करायें, किसी भी दशा में बिना पशु चिकित्सक के परामर्श के कोई उपचार स्वयं न करें।
जनपद में लंपी स्किन डिजीज के बचाव हेतु पशुपालन के कर्मियों/कर्मचारियों द्वारा अभियान चलाकर गोवंशीय पशुओं को निःशुल्क टीका लगाया जा रहा है। सभी पशुपालक अपने पशुओं को टीका अवश्य लगवायें। कन्ट्रोल रूम का नं0- डा0 पी0 के0 सिंह, उप मुख्य पशुचिकित्सा अधिकारी, सदर भरद्वाज, मोबाइल नं0- 8318299324 है।