झांसी महानगर: झांसी बनेगा बुंदेलखंड की प्राकृतिक खेती का औद्योगिक हब

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झांसी 5 अक्टूबर 2023

दिनांक 05 अक्टूबर 2023

प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न का हब बनेगा बुंदेलखंड:- सीडीओ

सरकार मिलेट्स यानि ‘श्रीअन्न’ की उपज को बढ़ाने लिए मिशन मोड में काम कर र‍ही है:- एमएलसी

मिलेट्स के सेवन से होता है शारीरिक और बौद्धिक विकास

मिलेट्स को करें भोजन में शामिल और रहे निरोगी

बुंदेलखंड इलाके को प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न का प्रमुख केन्द्र बनाने की संभावनाएं

  जनपद झांसी विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र की जलवायु और अन्य परिस्थ‍ितियां प्राकृतिक खेती के लिए पूरी तरह से अनुकूल हैं. इस इलाके में पहले से ही फसलों में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल अन्य इलाकों की तुलना में बहुत कम होता रहा है. इसलिए जैविक तरीके से उगाए जाने वाले श्रीअन्न यानि मिलेट्स के उत्पादन का भी हब बनने की सामर्थ्य बुंदेलखंड क्षेत्र में है।
   उक्त उदगार मुख्य विकास अधिकारी श्री जुनैद अहमद ने श्री अन्न/पौष्टिक धान्य- भारत की परंपरा जैसा खाएं,वैसा पाएं "अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष 2023 पर बुंदेलखंड क्षेत्र में मिलेट्स को बढ़ावा देने की चर्चा" जनपद स्तरीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। 
  उन्होंने कहा कि इस लिहाज से प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न के उत्पादन का दायरा बढ़ाने के प्रशासन के उपायों को गति देने में बुंदेलखंड अहम भूमिका निभाएगा। उन्हाेंने कहा कि इसमें किसानों का ही नहीं वरन समूचे समाज का कल्याण नि‍हित है। झांसी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में दो दिवसीय 'किसान गोष्ठी एवं कार्यशाला' काे संबो‍ध‍ित करते हुए उन्होंने बुंदेलखंड के किसानों से प्राकृतिक/मिलेट्स खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भरपूर लाभ उठाने की अपील की। 
  उन्होंने कहा कि भारत की पहल पर संयुक्त राष्ट्र द्वारा साल 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष के रूप में घोष‍ित किया गया है। इसके तहत केंद्र एवं राज्य सरकार ने प्राकृतिक खेती और श्रीअन्न के उपभोग तथा उपज को बढ़ाने के लिए किसानों एवं जनसामान्य को जागरुक बनाने का अभ‍ियान शुरू किया है. इसके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं प्राकृतिक खेती योजना के अंतर्गत इस तरह की कार्यशालाएं/श्री अन्न मेला आयोजित किए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती योजना में मिलेट्स एवं औद्यानिक फसलों को बुंदेलखंड में बढ़ावा देने की रणनीति को किसानों की मदद से ही कारगर बनाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस मकसद को हासिल करने के लिए सरकार, किसानों को अपना सहभागी बना रही है।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि सदस्य विधान परिषद श्रीमती रमा निरंजन ने श्रीअन्न की उपज को बढ़ावा देने के मकसद की पूर्ति के लिए किसानों से जायद की फसलों पर ध्यान केन्द्र‍ित करने की अपील की. उन्होंने कहा कि कालांतर में कतिपय कारणों से बुंदेलखंड में किसान जायद की फसलों को नजरंदाज कर रहे थे। सेहत के लिए बेहद उपयोगी माने गए मक्का, ज्वार और बाजारा के उत्पादन में कुछ दशक पहले तक बुंदेलखंड का अहम स्थान था।
उन्होंने कहा कि जायद सीजन की इन फसलों के लिए सरकार ने अब बाजार के दरवाजे खोल दिए हैं. किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर श्रीअन्न की भी खरीद होगी। उन्होंने कहा कि इन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार किसानों को उचित सब्सिडी पर जायद की फसल के बीज मुहैया करा रही है।
सदस्य विधान परिषद श्रीमती रमा निरंजन ने कहा कि किसान पशुधन को लावारिस न छोड़ें बुंदेलखंड में अन्ना जानवरों की कुप्रथा से किसानों की परेशानी बीते कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। सरकार जब मिलेट्स/प्राकृतिक खेती को किसान की आय बढ़ाने का जरिया बनाने की बात कहती है, तब किसानों को यह समझना चाहिए कि यह काम पशुधन को साथ रखे बिना पूरा नहीं हाेगा. उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड में पशुधन को अन्ना कुप्रथा से मुक्त‍ि दिलाए बिना किसान प्राकृतिक खेती नहीं कर सकते हैं।
अन्ना पशुओं की समस्या के निस्तारण हेतु उन्होंने किसानों से अपने गोवंश को अपने खेतों पर ही रखने की अपील की, जिससे गोमूत्र एवं गोबर का प्रयोग खेतों में ही हो एवं फसल की उत्पादन क्षमता तथा मिट्टी की उर्वर क्षमता में वृद्धि हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य किसानों को खुशहाल बनाना है. इसलिए इस काम में भी किसान, सरकार का सहयोग कर सहभागी बनें।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष श्री पवन गौतम ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए श्रीअन्न की खेती एक बहुमूल्य उपाय हैं। उन्होंने कहा कि श्रीअन्न की उपज एवं उपभोग बढ़ाने में ही किसानों सहित समूचे समाज का कल्याण भी छुपा है। उन्होंने कहा कि श्रीअन्न में पौष्टिकता की जानकारी से जन जन को रूबरू कराया जा रहा है। जिससे किसान इसकी उपज को बढ़ा कर समृद्ध हो सकें और इसका उपभोग बढ़ा कर जन सामान्य सेहतमंद हो सकेगे।
उन्होंने गोष्ठी में कहा कि श्रीअन्न का सेवन करने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं हृदयाघात जैसी घातक बीमारियों से सुरक्षित रहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पोषण के भंडार के रूप में श्रीअन्न को बढ़ावा देने के लिए सरकार किसानों को श्रीअन्न के बीज की मिनी किट उपलब्ध करा रही है। उन्होंने कृष‍ि उत्पाद समूहों (एफपीओ) से श्रीअन्न के बीज उत्पादन में सरकार का सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि श्रीअन्न की खेती में ही समग्र सामाजिक कल्याण निहित है और इसकी खेती में बुंदेलखंड प्रमुख केंद्र बनेगा। श्रीअन्न की खेती से बुंदेलखंड ही नहीं बल्कि अन्य सभी क्षेत्रों के किसानों को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में सक्षम बनाया जा सकता है।
अप कृषि निदेशक श्री एमपी सिंह ने बताया कि ज्वार का हब है झांसी जिला,सरकार के आंकड़ों के मुताबिक बुंदेलखंड में झांसी जिला ज्वार की खेती का हब है. जनपद में लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि पर खेती होती है. इसमें रबी और खरीफ की फसल प्रमुखता से की जाती है. झांसी जिले में लगभग 1800 हेक्टेयर में श्रीअन्न की खेती की जाती है। इसमें से 1770 हेक्टेयर में अकेले ज्वार की फसल बोई जाती है, इसमें 6000 हेक्टेयर जमीन का रकबा ऐसा है जिसमें किसान रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल कर आधुनिक पद्धति से खेती करते हैं. स्पष्ट है कि जिले में प्राकृतिक खेती की अपार संभावनाएं हैं।
गोष्ठी से पूर्व श्री अन्न/पौष्टिक धान्य भारत की परंपरा जैसा खाएं वैसा पाएं के तहत मिलेट्स मेले का अतिथियों द्वारा फीता काटकर शुभारंभ किया गया। विभिन्न विभागों, एफपीओ और मिलेट्स की खेती करने वाले किसानों द्वारा लगाई गई स्टॉल और उनके द्वारा तैयार किए गए व्यंजनों का निरीक्षण किया गया।
गोष्ठी में कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र भरारी, कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारियों ने उपस्थित किसानों को मिलेट्स की खेती के प्रति जागरूक किया और उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाए जाने की जानकारी दी।
इस अवसर पर जिला कृषि अधिकारी श्री के के सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ श्रीमती अल्पना बाजपेई, श्री दीपक कुमार कुशवाहा, श्री लल्ला सिंह, श्रीमती सुमन, श्री धर्मेंद्र कुमार कुशवाहा, श्री अनिल कुमार सहित अन्य विभागों के अधिकारी कर्मचारी और बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।


टीम मानवाधिकार मीडिया से ब्यूरो रिपोर्ट झांसी।