हटकानंगल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र महाराष्ट्र में 48 संसदीय क्षेत्रों में से एक है। जहां से 2024 के लोकसभा चुनाव में शिवसेना एकनाथ शिंदे गुट ने अपना दबदबा कायम रखते हुए जीत हासिल की थी। धैर्यशील संभाजीराव माने लगातार दो बार से सांसद चुने जा रहे हैं। यह निर्वाचन क्षेत्र 1976 में परिसीमन के बाद भंग कर दिया गया था। यह निर्वाचन क्षेत्र 2002 को गठित परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद 2008 में फिर से अस्तित्व में आया। सांगली और कोल्हापुर जिलों के विधानसभा क्षेत्रों ने इस नए निर्वाचन क्षेत्र का गठन किया है। यहां मिराज-कोल्हापुर लाइन पर एक रेलवे स्टेशन है।
यह प्रमुख हटकानंगल लोक सभा क्षेत्र पूरी तरह से महाराष्ट्र राज्य के कोल्हापुर और सांगली जिलों के अंतर्गत आता है। जो शाहूवाड़ी, हटकानंगल, इचलकरंजी, शिरोल, इस्लामपुर और शिराला विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर बनाया गया है। 2019 में हुए चुनाव में इनमें से दो सीट पर एनसीपी और निर्दलीय उम्मीदवार जीतने में सफल रहे थे। इसके अलावा एक सीट कांग्रेस और एक जनस्वराज शक्ति पार्टी के खाते में भी गई थी। इस लोकसभा क्षेत्र की शाहूवाड़ी विधानसभा सीट पर अब तक भाजपा और एनसीपी अपना खाता खोलने में नाकामयाब ही रही है। 2019 में हुए अंतिम विधानसभा चुनाव में राज्य के एक छोटे से दल जन स्वराज शक्ति पार्टी के विनय कोरे ने जीत दर्ज की थी। इसके पहले विनय कोरे 2009 से लेकर 2014 तक भी विधायक चुने जा चुके हैं।
इस लोक सभा क्षेत्र की हटकानंगल विधानसभा सीट महाराष्ट्र राज्य के गठन के साथ ही 1962 से अस्तित्व में आ गई थी। जो अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित है। इस सीट पर कांग्रेस ने 1999 तक सिर्फ दो चुनाव हारकर लंबा राज किया है। 2009 में इस क्षेत्र से शिवसेना के टिकट पर सुजित मिणचेकर चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। जो लगातार 10 साल तक इस क्षेत्र से विधायक रहे हैं। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी करते हुए जीत हासिल की थी। फिलहाल इस क्षेत्र से राजू आवले विधायक हैं। हटकानंगल लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली इचलकरंजी विधानसभा सीट पर सर्वप्रथम 1978 में चुनाव हुए थे। इसके बाद यहां कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया मजबूत दावेदार थे। हालांकि, 1995 के चुनाव के बाद से ही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया इस क्षेत्र से जीतने में असफल रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाशना अवाडे ने भारतीय जनता पार्टी के 10 साल के वर्चस्व को खत्म करते हुए जीत हासिल की थी।
यहाँ की शिरोल विधानसभा सीट को एक जमाने में कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था, लेकिन 2004 के बाद से पार्टी यहां सिर्फ 2009 में ही जीतने में कामयाब रही थी। इसके बाद 2014 में शिवसेना के उल्हास पाटिल और 2019 में निर्दलीय उम्मीदवार राजेंद्र पाटिल विजेता बने थे। महाराष्ट्र में 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई इस्लामपुर विधानसभा सीट पर अब तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अपराजित ही रही है। जिसके नेता जयंत राजाराम पाटिल इस क्षेत्र का पिछले 15 साल से लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। एनसीपी के दो टुकड़े होने के बाद पाटिल ने शरद पवार गुट में जाने का फैसला किया था। महाराष्ट्र राज्य की विधानसभा में 284 नंबर से जाने जानीवाली शिराला विधानसभा सीट राज्य के सबसे गद्दार नेता रहे शिवाजी राव देशमुख के कारण भी जानी जाती है। जिन्होंने 1978 से लेकर 2014 तक बतौर विधायक इस क्षेत्र की जनता की आवाज विधानसभा में पहुंचाई है। पूर्व विधायक शिवाजीराव देशमुख कई दलों के टिकट पर 9 में से 8 चुनाव जीतने में कामयाब रहे थे। वर्तमान में एनसीपी शरद पवार गुट के मानसिंह फतेहसिंह राव नायक यहां से 2019 में विधायक चुने गए थे।