–प्रेमियो! अपने अंदर प्रभु की ताकत ले आओ जिससे आपकी वाणी में शक्ति आ जाय
शकील अहमद
लखनऊ। वक़्त के महापुरुष, पूरे समर्थ सन्त सतगुरु,दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि तन मन को करता कौन खराब, अंडा मछली मांस शराब। इसको जब लोग छोड़ देंगे तो सतयुगी गुण धीरे-धीरे आने लगेंगे, बुद्धि सही हो जाएगी। आप प्रेमियों! मत खाना, आप लोगों को छुड़वाओ, प्रचार भी करो, कोई न माने तो पैर छू लो नहीं तो हाथ जोड़ो लोगों से। हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी। छोड़ो पर व्यभिचार बनो ब्रह्मचारी, सतयुग लाने की करो तैयारी।
हाथ जोड़कर पैर छूकर लोगों को मना लो
लेकिन आप अगर ऐसे रहोगे, खुद खाओगे और दूसरों को मना करोगे, खुद अपनी जगह गलत रहोगे और दूसरे को सही करने की कोशिश करोगे, खुद अपने परिवार बच्चों को नहीं समझा पाओगे तो दूसरे को कैसे समझा सकते हो? इसलिए अपने को खुद इस लायक बनाओ कि आपकी वाणी में शक्ति आवे, आपकी आवाज कोई सुने, उसको वह समझ जाए, इस तरह की ताकत अपने अंदर ले आओ, जिससे प्रभु की दया उतरने लग जाए, आपके मुंह से ऐसी आवाज निकले कि उससे वह प्रभावित हो जाए। बराबर इस चीज का सब लोगों का ध्यान रखना है।
चरित्र गया तो समझ लो एक तरह से नंगे की तरह हो गए
मांस, मछली, अंडा, शराब मत खाना-पीना और दूसरी औरत के साथ बुरा मत करना। बहुत बड़ा पाप लगता है। व्यभिचार करने वाला भजन नहीं कर सकता है, चाहे औरत हो या आदमी। व्यसनी धन नही शुभ व्यभिचारी, सेवक सुख नही मान भिखारी। व्यभिचारी को शुभ गति मिलती नहीं है, उनके लिए नर्क का रिजर्वेशन हो गया, टिकट कटा हुआ है। नरकों में तो यातना भुगतनी ही पड़ेगी, इसलिए नौजवानो! किसी भी कीमत पर अपने चरित्र को गिरने मत देना-
Money is lost, nothing is lost.
Health is lost, something lost.
But Character is lost, everything is lost.
अगर चरित्र चला गया तो समझ लो नंगे हो गए, सारे कपड़े, आभूषण आपके उतर गए। देखो बच्चियो! समझ लो। कितना भी बढ़िया गहना कपड़ा पहने हो लेकिन यह चीज एक तरह से उतर गई, जिस चीज को ढकने के लिए आपने इसको पहन रखा है, तो समझो आपके पास क्या रह गया? इसलिए इस बात का सब लोग ध्यान रखना।
बाजार की मिलावटी चीजों को खाने के दुष्परिणाम
मैं देख रहा हूं, लड़के और लड़कियों में चंचलता बहुत बढ़ती चली जा रही है। हाथ, पैर, आंख, कान सब चंचल हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण है- जैसा खावे अन्न, वैसा होवे मन। जैसा पियो पानी वैसा होए वाणी।। यह खाने पीने वाली चीजों में मांस, मछली, अंडे का असर जिससे यह सारी इंद्रियां चलायमान हैं, इनसे बचो। आपको जिन कामों को मना किया है, इनको मत करना।