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हाईकोर्ट की ऐतिहासिक पहल:कोमा में पड़े पति की पत्नी संरक्षक नियुक्त, इलाज के लिए गाइडलाइन तय, संपत्ति बेचने की अनुमति
कोमा में पड़े पति के इलाज के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक पहल की है। कोर्ट ने दुर्घटना में घायल और अस्पताल में कोमा में पड़े पति के इलाज के लिए पत्नी को पति का संरक्षक नियुक्त किया है। यही नहीं इलाज के लिए पति की तरफ से पत्नी को पति की संपत्ति बेचने का अधिकार भी दे दिया है।
इस पर अभी तक नहीं है कोई कानून
अभी तक इस अभूतपूर्व स्थिति में पड़ने पर पत्नी क्या करे इसपर कोई कानून नहीं है। अत: हाई कोर्ट ने इस उत्पन्न स्थिति को देखते हुए तमाम कानूनों व कोर्ट के फैसलों पर गंभीरता पूर्वक विचार कर यह निर्णय लिया है। महानिबंधक पत्नी को जमीन के पैसों के ब्याज से हर माह देंगे 50 हजार कोर्ट ने गाइडलाइंस तय करते हुए कहा है कि दादरी तहसील के गांव इलाभान, में स्थित पति की खरीदी जमीन को अधिकतम कीमत पर बेचा जाय। धनराशि महानिबंधक के मार्फत अधिकतम ब्याज पर बैंक में फिक्स डिपॉजिट की जाय और महानिबंधक बैंक को पत्नी के द्वारका सेक्टर 7 नई दिल्ली स्थित बैंक खाते में हर महीने 50 हजार रुपए जमा करने की व्यवस्था करें, जिसका पति के इलाज व बच्चे की देखभाल में इस्तेमाल किया जाय।
यह आदेश जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने पूजा शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता अश्वनी कुमार श्रीवास्तव, न्यायमित्र अनुपम कुलश्रेष्ठ,अपर सालिसिटर जनरल शशि प्रकाश सिंह व पी एन राय , राज्य सरकार के अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता अंबरीष शुक्ल ने पक्ष रखा।
2011 में जमीन खरीदी और एक्सीडेंट में हो गई थी मौत
मालूम हो कि याची के पति ने नोएडा में 5 सितंबर 2011 को जमीन खरीदी और इसके बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गए। तभी से कोमा में हैं।याची का कहना था कि वह प्राइवेट नौकरी करने वाली मध्यम वर्गीय परिवार की है। बड़े मुश्किल से अपने बच्चे व पति की देखभाल कर पा रही है। लोगों से लोन लेकर इलाज करा रहीं हैं। अब उसके पास इलाज का पैसा नहीं है। अदालत या तो उसे पति के इलाज के लिए उनकी संपत्ति बेचने की अनुमति दे या सरकार को इलाज खर्च उठाने का आदेश दिया जाय।कुछ कानून हैं जो संरक्षक नियुक्त करने का अधिकार देते हैं किंतु कोमा में पड़े व्यक्ति का संरक्षक नियुक्त करने का कोई कानून नहीं है। जिससे वह संपत्ति बेचकर इलाज नहीं करा पा रही है।
एम्स के डॉक्टरों ने कहा पेशेंट को 24 घंटे निगरानी की जरूरत
एम्स के डाक्टरों की रिपोर्ट में कहा गया कि मरीज को 24 घंटे चिकित्सा निगरानी की जरूरत है। एम्स की रिपोर्ट व कोर्ट के तमाम फैसलों पर विचार करते हुए खंडपीठ ने कोमा में पड़े पति के इलाज के लिए पत्नी को पति का संरक्षक नियुक्त कर दिया है और गाइडलाइंस भी तय कर दी है।