महाप्राण निराला जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का हुआ आयोजन
ब्यूरो चीफ संतोष कुमार रजक सोनभद्र
शक्तिनगर(सोनभद्र)। साहित्यिक,सामाजिक संस्था सोन संगम शक्तिनगर की ओर से महाप्राण निराला की जयंती के अवसर पर विचार गोष्ठी एवं काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि केंद्रीय विद्यालय शक्तिनगर की प्रधानाचार्य श्रीमती प्रीति शर्मा रही।
विशिष्ट अतिथि के रूप में विवेकानंद शिशु मंदिर शक्तिनगर के प्रधानाचार्य गोपाल तिवारी तथा दूसरे विशिष्ट अतिथि के रूप में सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज खडिया के प्रधानाचार्य राजीव कुमार उपस्थित रहे। कार्यक्रम का श्रीगणेश मां सरस्वती एवं निराला जी के छायाचित्र पर उपस्थित अतिथियों द्वारा माल्यापर्ण पुष्पांजलि तथा दीप प्रज्वलन से किया गया।
केंद्रीय विद्यालय के संगीत शिक्षक बलराम मिश्रा के द्वारा मां सरस्वती की स्तुति प्रस्तुत की गई। अतिथियों का स्वागत विजय कुमार दुबे ने किया। विषय की स्थापना तथा संगोष्ठी का संचालन करते हुए डॉ मानिक चंद पांडेय ने बताया कि महाप्राण निराला की प्रासंगिकता आज भी पूरी विश्व में सर्वमान्य है।
मुख्य अतिथि श्रीमती प्रीति शर्मा ने निराला से जुड़ी कई एक संस्मरण को उपस्थित लोगों के सामने प्रस्तुत किया तथा निराला को कालंजयी रचनाकार बताया। विशिष्ट अतिथि गोपाल तिवारी ने निराला को कभी न थकने वाला कभी बताया और कहा कि निराला की जीजीविसा शक्ति अद्भुत रही। उनके भीतर किसी प्रकार का कोई भय नहीं था।
राजीव कुमार ने निराला को मानवतावादी कवि बताया। अन्य वक्ताओं में डॉ अनिल कुमार दुबे ने निराला के व्यक्तित्व पर अपने विचार व्यक्त किया। डॉ छोटेलाल ने निराला द्वारा संपादित मतवाला पत्रिका और निराला की अंतः संबंधों पर विस्तृत विचार व्यक्त किया। सरस सिंह ने निराला की गद्य साहित्य को हिंदी साहित्य का अमूल्य निधि के रूप में चित्रित किया।
श्रीमती अनीता ने निराला की कविता तोड़ती पत्थर का वाचन किया। मनोरमा के द्वारा बाधो ना नाव उस ठाव बंधु गीत प्रस्तुत किया गया। काव्य संध्या की अध्यक्षता कर रहे हैं एनटीपीसी शक्तिनगर के अपर महाप्रबंधक तकनीकी सेवाएं विनय कुमार अवस्थी ने निराला की व्यक्तित्व को कुछ इस प्रकार प्रस्तुत किया
बहुत कष्ट से जीवन पाला, सूर्यकांत व्यक्तित्व निराला। देश प्रेम का भाव कूट कर, अपनी कविता में भर डाला। गोपाल तिवारी ने कविता को नया मोड़ देते हुए अपनी रचनाएं कुछ इस तरह से प्रस्तुत करके उपस्थित लोगों को भाव विभोर कर दिया,जिनके बेटे माथे पर तिलक, लगाकर घर से निकले थे। जिनके बेटे सौगंध राम की,खाकर घर से निकले थे।
बरसों का वह सूना आंगन, जैसे कुछ-कुछ मुस्कराया है। उन राह ताकती कौशल्याओं का, बेटा घर को आया है,उनसे पूछो मंदिर क्या है? श्रीमती विजयलक्ष्मी पटेल ने बसंत के आगमन पर अपनी पंक्तियां कुछ इस अंदाज में बयान किया,आईल मोरी सखिया बसंत बहार हो।खेतवा में झूमे ला सरसों का फुलवा ।गुलशन पर चढ़ल रंग अपार।
दूसरी रचनाकार के रूप में श्रीमती अनुपमा अवस्थी ने अपने गीत प्रस्तुत करके लोगों को भाव बिहवल कर दिया, यह माया तेरी बहुत कठिन है राम रक्त मांस हड्डी के ढेर पे चढा हुआ है चाम देखा उसी की सुंदरता हो जाती नींद हराम। जाने माने कवि कृपा शंकर उर्फ माहीर मिर्जापुर ने अपनी रचना इस प्रकार व्यक्त किया,जो पैदा होगा वह मारेगा फिर जन्म लेगा। यह अटल सच्चाई है । आने जाने का यह सिलसिला बहुत पुराना।आदिकाल से स्थाई है ।
काव्य गोष्ठी का संचालन कर रहे रमाकांत पांडेय ने अपने कविता, काहे बोलेला बोलिया कठोर भैया से लोगों को मंत्र मुक्त कर दिया। अंत में बद्री प्रसाद के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम समाप्त हुआ। इस कार्यक्रम के आयोजन में मुकेश रेल, अच्छेलाल, सरवन कुमार, घनश्याम इत्यादि विशेष सहयोग रहा । इस कार्यक्रम में श्रोता के रूप में डॉ रणवीर सिंह, डॉ मनोज कुमार गौतम, सचिन मिश्रा, पप्पू चायवाला, उदय नारायण पांडेय के साथ-साथ अन्य लोग उपस्थित रहे।