वार्नर कॉलेज ऑफ़ डेरी टेक्नोलॉजी अपना शताब्दी वर्ष पूर्ण होने की ख़ुशी में सेमिनार एवं कांफ्रेंस आदि कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है– प्रयागराज मंडल से अभिषेक गुप्ता की रिपोर्ट
! इस संस्थान में सबसे पहला पाठ्यक्रम इंडियन डेरी डिप्लोमा इन डेरी टेक्नोलॉजी (आई डी डी-डी टी) का शुभारम्भ 1 जनवरी वर्ष 1924 हुआ था! राष्ट्रीय विज्ञानं दिवस 28 फ़रवरी 2024 को विकसित भारत के लिए स्वदेशी तकनीकी थीम/प्रसंग के साथ बड़े ही उल्लास से मनाया गया! कार्यक्रम की अध्यक्षता वार्नर कॉलेज ऑफ़ डेरी टेक्नोलॉजी के डीन/अधिष्ठाता डॉ संदीप जी एम् प्रसाद ने की! उन्होंने स्वदेशी तकनीकी पर प्रकाश डालते हुए बोला कि हमारे वार्नर कॉलेज में जो भी डेयरी/दुग्ध उत्पाद बनता है वो स्वदेशी होने का सबसे बड़ा प्रमाण है। दूध दही मक्खन एवं पनीर आदि उत्पाद नई नई तकनीकियों से बनाए जा रहे है। जो स्वदेशी तकनीक की अच्छी मिसाल है।कार्यक्रम का संचालन इंजीनियर शांता पीटर (सहायक प्राध्यापक) एवं डॉ अनामिका दास ने किया। कार्यक्रम में शुआट्स विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति डॉ विश्वरूप मेहरा मुख्य अतिथि रहे। इन्होंने विज्ञान पर प्रकाश डालते हुए बोला की दर्शन शास्त्र, समाज शास्त्र, मनोविज्ञान ये सभी विज्ञान के हिस्से है। विज्ञान की सीमा को बांधा नही जा सकता। विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डॉ आरिफ ए ब्रॉडवे ( निदेशक, प्रसार निदेशालय शुआट्स) रहे। इन्होंने विज्ञान में शिक्षकों के महत्वपूर्ण योगदान को सराहा। कार्यक्रम का समापन डेयरी टेक्नोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ अविनाश सिंह ने किया। कार्यक्रम के संचालन में सहायक प्राध्यापक डॉ शंकर सुवन सिंह , डॉ संगीता शुक्ला, डॉ अनामिका दास, डॉ गौरव यादव, डॉ प्रिय ब्रत गौतम, डॉ अंकिता गौतम, डॉ चंद्रशेखर बी, डॉ पुनीत अरोड़ा, इंजीनियर तेजस जैकब, इंजीनियर अंकुर रमोला, बीजू जॉन आदि कर्मचारियों ने सहभागिता की।