- सेवा पखवाड़ा में स्वास्थ्य सेवाओं की खुली पोल, डॉक्टरों की मनमानी से मरीज परेशान
- जन औषधि केंद्र पर मानक विपरीत महंगी जेनेरिक दवाएं, डॉक्टरों की मिलीभगत उजागर
- महिला रोगियों को लिखे प्राइवेट अल्ट्रासाउंड और खून जांच, गरीब मरीजों पर बोझ
रायबरेली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक “सेवा पखवाड़ा” चलाया जा रहा है। इस दौरान महिला स्वास्थ्य एवं नारी सशक्तिकरण पर विशेष जोर देने का संकल्प है लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट दिख रही है। शुक्रवार को सीएचसी खीरों और आसपास के हेल्थ कैंप सेंटर पर डॉक्टरों की मनमानी साफ झलकी।
इलाज के लिए आने वाली महिला रोगियों को जहां बाहर की पैथोलॉजी से खून जांच और महंगे अल्ट्रासाउंड कराने के लिए लिखा गया, वहीं जन औषधि केंद्र से भी मानक के विपरीत रखी गई प्राइवेट कंपनियों की महंगी जेनेरिक दवाएं खरीदने को मजबूर किया गया।
मरीजों की जेब पर भारी पड़ी जांच और दवाएं
अजीतपुर से इलाज कराने आई महिला को डॉक्टर ने बाहर से खून जांच कराने के लिए लिखा। सेनी की एक महिला को डॉ. राहुल घोष ने लीवर और आयरन टॉनिक लिख दिया, जिसके लिए उसे ढाई सौ रुपये खर्च करने पड़े। भीतरगांव की महिला रोगी को मल्टीविटामिन और लीवर सिरप लिखे गए जिनकी कीमत 270 रुपये रही।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जन औषधि केंद्र का उद्देश्य मरीजों को सस्ती दवा उपलब्ध कराना है लेकिन डॉक्टरों और दवा विक्रेताओं की मिलीभगत से यहां लगातार महंगी जेनेरिक दवाएं बेची जा रही हैं।
समय से नहीं पहुंचे डॉक्टर
सेवा पखवाड़ा में नियुक्त कई डॉक्टर ड्यूटी स्थल पर सुबह 8 बजे समय से नहीं पहुंचे और निर्धारित समय से पहले ही लौट गए।
डॉ. अर्चिता वर्मा खानपुर खुष्टी उपकेंद्र से दोपहर 1 बजे चली गईं।
डॉ. निधि गौतम टिकवामऊ उपकेंद्र से 1 बजे ही निकल गईं।
अधीक्षक डॉ. भावेश सिंह और डॉ. इति चौधरी ने भी राजकीय महिला चिकित्सालय पाहो में पूरे समय तक ड्यूटी नहीं दी।
डॉ. राहुल घोष पर सबसे गंभीर आरोप
मरीजों को बाहर से जांच लिखने और जन औषधि केंद्र से महंगी दवाएं दिलाने में सबसे ज्यादा नाम डॉ. राहुल घोष का सामने आ रहा है। मरीजों का कहना है कि वह नियमों को ताक पर रखकर काम करते हैं और खुलेआम कहते हैं – “ज्यादा से ज्यादा मेरा ट्रांसफर होगा।”
शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं
स्थानीय लोगों ने बताया कि जन औषधि केंद्र में मानक के विपरीत रखी गई दवाओं को हटाने के लिए कई बार शिकायत की गई लेकिन सीएचसी अधीक्षक ने कोई कार्रवाई नहीं की। मामले की शिकायत सीएमओ तक भी पहुंची है, बावजूद इसके व्यवस्था जस की तस बनी हुई है।
यह खबर सीधे तौर पर दिखाती है कि सेवा पखवाड़ा जैसे महत्वपूर्ण अभियान को स्थानीय स्तर पर किस तरह से मजाक बना दिया गया है।