
स्कूल की प्रयोगशाला में जिस तरह धातु की दो पट्टियों को पानी में डुबोकर उन्हें बैटरी से जोड़ने पर धातु की पट्टियों पर बुलबुले उभरते है. असल में ये ऑक्सीजन और हाइड्रोजन के बुलबुले होते हैं यानी H2O.
पानी के तत्वों का विघटन होकर वो ऑक्सीजन और हाइड्रोजन में बदल जाता है.
इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जा सकता है. खाना पकाया जा सकता है, गाड़ियां ही नहीं बल्कि हवाई जहाज़ उड़ाने के लिए भी इस ऊर्जा का इस्तेमाल किया जा सकता है.
पेट्रोल या कोयले से कार्बन गैस बनती है और पर्यावरण को नुक़सान पहुंचाती है. मगर हाइड्रोजन की सबसे अच्छी बात यह है कि जलने के बाद ऑक्सीजन और हाइड्रोजन मिल कर पानी में बदल जाते हैं और कार्बन उत्सर्जन नहीं होता.वैज्ञानिकों का मानना है कि यह अक्षय ऊर्जा साबित हो सकती है और जलवायु परिवर्तन की समस्या सुलझाने में भी मददगार सिद्ध हो सकती है.