मंडल मुख्यालय होने के बावजूद जिले में बारिश मापी यंत्र (रेन गेज) नहीं

बस्ती बस्ती मंडल

बस्ती। मंडल मुख्यालय होने के बावजूद जिले में बारिश मापी यंत्र (रेन गेज) नहीं है। बारिश के समय कितनी मिली मीटर पानी गिरा इसकी रिपोर्ट के लिए आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या पर के अनुमान पर निर्भर रहना पड़ता है। पहले औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र परिसर में लगे रेन गेज से बारिश की मात्रा का पता लग जाता था। बारिश की मात्रा के आधार पर फसलों की बुवाई और बीजों का चयन किया जाता है। इसे ऐसे समझें कि यदि किसी जगह कम मात्रा में बारिश होती है और वहां धान की खेती करनी है। ऐसी स्थिति में किसान ऐसे बीजों का चुनाव करता है जो कम पानी में भी बढि़या पैदावार देने में समक्ष हों। उल्लेखनीय है कि औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र परिसर में स्थापित रेनगेज खराब होने के बाद जिले में बारिश की मात्रा मापने का कोई यंत्र नहीं है। कृषि क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों को इजाद करने के लिए बंजरिया में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्र में भी रेनगेज नहीं लगा है।

जबकि कृषि विज्ञान केंद्र को देश में सर्वश्रेष्ठ होने का दर्जा प्राप्त है। वरिष्ठ वैज्ञानिक विनोद बहादुर सिंह ने बताया कि परिसर में रेनगेज नहीं लगा है।रेन गेज से किसानों को होता है सीधा फायदा
– वर्षामापी यंत्र से गिरने वाले पानी को मापने के तमाम फायदे हैं। सबसे बड़ा फायदा किसानों के लिए है। इसकी मदद से किसी निश्चित स्थान की भौगोलिक परिस्थितियां मालूम हो जाती हैं। मौसम विज्ञानी डॉ. अमरनाथ मिश्र बताते हैं कि मसलन, यदि साल में किसी स्थान पर आठ मिमी से कम बारिश होती है तो वह स्थान ”रेगिस्तान” कहलाता है। इससे वहां होने वाली कृषि पैदावार के बारे में अनुमान लगाया जाता है। बारिश की मात्रा आधार पर ही बीजों का चुनाव और फसल की बुवाई की जाती है।