झांसी महानगर: देश की कृषि उत्पादन की उपजाऊ भूमि का सर्वाधिक क्षेत्र उत्तर प्रदेश

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झांसी दिनांक 23 जुलाई 2023

सचिव कृषि ने “‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती एवं इनोवेटिव एग्रीकल्चर’” की ली जानकारी, कामधेनु फार्म हाउस का किया निरीक्षण

नीति आयोग द्वारा बुंदेलखंड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने एवं नवोन्मेषी कृषि पर आधारित खेती पर फोकस,

अथर्ववेद के ‘पृथ्वी सूक्त’ में कहा गया है कि “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः” अर्थात् धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं:- सचिव कृषि

हम सबका दायित्व है कि भरण पोषण करने वाली धरती माँ का हम संरक्षण करें

उ0प्र0 देश की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य, देश की उपजाऊ भूमि का सर्वाधिक भाग उ0प्र0 में

किसानों की आय को दोगुना करने के प्रयासों के बेहतर परिणाम दिखायी दे रहे, इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए खेती की लागत को कम करना और उत्पादन बढ़ाना अनिवार्य

“गौ-आधारित प्राकृतिक खेती” का मतलब कम लागत और विषमुक्त खेती

गौ और गौवंश मनुष्य का सबसे नजदीकी हितचिन्तक, गौवंश आज भी हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल मंत्र

गोबर एवं गौमूत्र के विविध प्रयोग से बुंदेलखंड सहित प्रदेश की मृदा संरचना में भी सुधार कर जीवांश कार्बन में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित की जा सकती

बुंदेलखंड सहित उ0प्र0 में बड़े भूभाग पर प्राकृतिक खेती की जा रही, इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं

वर्ष 2020 से प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में अनेक नवाचार किये गये हैं और किए जा रहे हैं

कृषि को उर्वरकों एवं पेस्टीसाइड से मुक्त रखना शासन की सर्वोच्च प्राथमिकता

प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसान पहले ही वर्ष से अच्छी आमदनी ले सकते हैं

प्रदेश में कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र एवं एग्रो क्लाइमेटिक जोन आधारित संभागीय कृषि परीक्षण एवं प्रदर्शन केन्द्र प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे

प्रदेश सरकार बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रही, इच्छुक किसान भी आगे आए

राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती से जुड़े अग्रणी कृषकों को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु पुरस्कृत किया जा रहा

  आज उत्तर प्रदेश के सचिव कृषि श्री राजशेखर द्वारा ग्राम अम्बावाय स्थित कामधेनु फार्म हाउस में ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती एवं इनोवेटिव एग्रीकल्चर’ कार्य का स्थलीय निरीक्षण करते हुए जानकारी ली। उन्होंने कहा कि अथर्ववेद के ‘पृथ्वी सूक्त’ में कहा गया है कि ‘माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः’ अर्थात् धरती हमारी माता है और हम उसके पुत्र हैं। धरती माता के प्रति हमारे वेद जिस महिमा का ज्ञान कर रहे हैं, वह आज के परिप्रेक्ष्य में हमारे संस्कारों का हिस्सा हैं। अथर्ववेद का यह मंत्र माँ की महिमा से जोड़कर धरती की गरिमा का गान करता है। इसलिए हम सबका दायित्व है कि भरण पोषण करने वाली धरती माँ का हम संरक्षण करें। 
    सचिव कृषि श्री राजशेखर ने उपस्थित किसानों से कहा कि उत्तर प्रदेश देश की सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। देश की उपजाऊ भूमि का सर्वाधिक भाग उत्तर प्रदेश में है। उन्होंने कहा कि मा0 प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में वर्ष 2014 से ही किसानों की आय को दोगुना करने के लिए गम्भीरता से प्रयास किये जा रहे हैं। आज इसके बेहतर परिणाम दिखायी दे रहे हैं। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए खेती की लागत को कम करना और उत्पादन को बढ़ाना अनिवार्य है। यह तभी सम्भव है, जब हम प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण, पर्यावरण सुधार, मानव स्वास्थ्य एवं पोषण में सुधार के साथ-साथ कृषकों की आय में भी वृद्धि करने में सफल हों। इन सभी लक्ष्यों की पूर्ति के लिए  ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ को ही एक मात्र रास्ता बताया है। ‘गौ-आधारित प्राकृतिक खेती’ का मतलब कम लागत और विषमुक्त खेती है। उन्होंने कहा कि मानव सभ्यता के आरम्भ से ही गौ और गौवंश को मनुष्य का सबसे नजदीकी हितचिन्तक माना गया है। आज भी हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मूल मंत्र गौवंश है। 
     कामधेनु फार्म हाउस का निरीक्षण करते हुए सचिव कृषि ने कहा कि खेती में मशीनीकरण के साथ-साथ यह बात समझ में आने लगी है कि छोटे किसानों के लिए बैल न केवल किफायती बल्कि उनके संरक्षक भी हैं। प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती के क्रियान्वयन से न केवल हमारे किसान को कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त हो सकता है बल्कि स्वास्थ्य के साथ-साथ गौ-संरक्षण का कार्य भी हम इसके माध्यम से करने में सफल हो सकते हैं। इसके माध्यम से गोबर एवं गौमूत्र के विविध प्रयोग से बुंदेलखंड सहित प्रदेश की मृदा संरचना में भी सुधार कर जीवांश कार्बन में बढ़ोत्तरी सुनिश्चित की जा सकती है तथा बड़े पैमाने पर जो धनराशि उर्वरकों, पेस्टीसाइड के आयात में खर्च की जाती है, उसकी भी बचत कर सकते हैं।
   श्री राजशेखर ने प्रधानमंत्री जी एवं कृषि मंत्री को केन्द्रीय बजट में प्राकृतिक खेती को सम्मिलित करने के लिए आभार ज्ञापित किया।  जिसके पश्चात उत्तर प्रदेश में गौ-आधारित प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस विषय पर बुंदेलखंड के किसानों के लिए  कार्यशाला का आयोजन किया गया।  उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड सहित उत्तर प्रदेश में बड़े भूभाग पर प्राकृतिक खेती की जा रही है। इसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं। नमामि गंगे एवं परम्परागत कृषि विकास योजना के अन्तर्गत विगत 03 वर्षाें के प्रथम वर्ष में प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया। वर्ष 2020 से प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देकर इस क्षेत्र में अनेक नवाचार किये गये हैं। 
     सचिव कृषि ने ग्राम अम्बावाय स्थित कामधेनु फार्म हाउस का निरीक्षण करते हुए उपस्थित किसानों से कहा कि बुंदेलखंड सहित संपूर्ण प्रदेश के किसानों को प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से औद्यानिक फसल या खेती के लिए अगले 03 वर्षाें तक सब्सिडी देते हुए प्रोत्साहन की व्यवस्था की गयी। इसमें कृषि वानिकी को भी सम्मिलित किया गया है। आज बुंदेलखंड सहित उत्तर प्रदेश में लाखों किसानों की रुचि प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ी है और वे इसके माध्यम से अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हमें कृषि को उर्वरकों एवं पेस्टीसाइड से मुक्त करने के साथ-साथ प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती के विभेद को किसानों एवं जनता के समक्ष स्पष्ट रूप से रखना होगा। जैविक खेती में एक चक्र होता है, जिसे पूरा करने के बाद ही यह खेती अपने पूर्व की स्थिति में आती है। लघु एवं सीमान्त किसान इसका इन्तजार नहीं कर सकते। अतः जैविक खेती को अपनाना उसके लिए कठिन होता है, लेकिन प्राकृतिक खेती के माध्यम से किसान पहले ही वर्ष से गौ-आधारित खेती के माध्यम से अच्छी आमदनी ले सकते हैं और स्वयं के साथ अन्य लोगों का भी स्वास्थ्य बेहतर रख सकते हैं।
     सचिव कृषि श्री राजशेखर ने कहा कि हमें प्राकृतिक खेती के कार्यक्रम को विस्तार से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। उत्तर प्रदेश में इस तरह के अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। प्रदेश की ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करते हुए अधिक से अधिक कृषकों को व्यवस्थित रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती से जुड़े अग्रणी कृषकों को उनके उत्कृष्ट योगदान हेतु पुरस्कृत भी किया जा रहा है। 
   उन्होंने कहा कि जैविक खेती या प्राकृतिक खेती से जुड़े कृषकों के साथ ही स्वयं सहायता समूह एवं कृषक उत्पादक संगठनों को भी प्रशिक्षण देते हुए अभियान में जोड़ा जाए ताकि उनके उत्पाद का मूल्य संवर्धन एवं विपणन बेहतर हो सके।
    सचिव कृषि श्री राजशेखर ने कामधेनु फार्म हाउस का निरीक्षण करते हुए कामधेनु की टीम को बधाई दी उन्होंने श्री श्याम बिहारी गुप्ता और श्री राम कुमार के कार्यों की एवं उनकी टीम की विशेष रूप से प्रशंसा की और इसी लगन से कार्य करने का सुझाव दिया। कामधेनु टीम के सदस्यों द्वारा सचिव कृषि को प्राकृतिक खेती के उत्पाद भेंट किए।

इस मौके पर उप कृषि निदेशक श्री एमपी सिंह, जिला कृषि अधिकारी श्री के के सिंह, विषय वस्तु विशेषज्ञ श्री दीपक कुशवाहा एवं श्रीमती अल्पना बाजपेई, श्री अनिल कुमार, श्री अरविंद पिपरिया, श्री संतराम अहिरवार सहित बड़ी संख्या में किसान उपस्थित रहे।

टीम मानवाधिकार मीडिया से ब्यूरो रिपोर्ट झांसी।