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बालगृह के बच्चों ने मनाया बाल मेला

बालगृह बालक राजरूपपुर में बाल दिवस के अवसर को बाल मेला के रूप में किया गया, कार्यक्रम में मुख्य अतिथि शफ़ाअत हुसैन निदेशक वक्फ़ बोर्ड विकास निगम ,निवर्तमान राष्ट्रीय मंत्री भाजपा ,विशिष्ट अतिथि किशोर न्याय बोर्ड की सदस्य शीला यादव,बालकल्याण समिति सदस्य सुमन पाण्डेय,सुषमा शुक्ला, यातायात प्रभारी पवन कुमार पांडेय जी रहे, कार्यक्रम की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री श्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया और बच्चों द्वारा नृत्य व बाल प्रतियोगिता कराई गई, कार्यक्रम में यातायात प्रभारी पवन कुमार जी ने देश के भविष्य के निर्माण में बच्चों के महत्व को बताता है। बच्चे राष्ट्र की बहुमूल्य सम्पत्ति होने के साथ ही भविष्य और कल की उम्मीद हैं, इसलिए उन्हें उचित देखरेख और प्यार मिलना चाहिए। साथ ही साथ कार्यक्रम में सम्मिलित सभी गणमान्य लोगों से अपील किया कि यातायात के नियमों का पालन स्वयं करें और अपने सगे सम्बन्धियों को भी कराए, ट्रैफिक के बारे में जागरूकता सन्देश भी दिया।

मुख्य अतिथि आदरणीय मंत्री जी ने बताया कि भारत के आजाद होने के बाद बच्चों के विकास, उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर सरकार ने कई योजनाएं बनाई हैं। लेकिन आज भी बहुत से बच्चों को उनका अधिकार नहीं मिल पाता है। बाल दिवस का अर्थ पूरी तरह से तब तक सार्थक नहीं हो सकता, जब तक हमारे देश में हर बच्चे को उसके मौलिक बाल अधिकारों की प्राप्ति ना हो बाल शोषण और बाल मजदूरी का पूरी तरह से खात्मा होना चाहिए। आर्थिक कारणों से कोई बच्चा शिक्षा पाने से वंचित नहीं रहना चाहिए। बाल कल्याण के लिए चल रही सभी योजनाओं का लाभ बच्चों तक पहुंचना चाहिए। इसके लिए कुछ जागरूक समाज सेवी बालगृह के निदेशक मुकुंद गोस्वामी,एमएस जैदी, नितीश शुक्ल, सैय्यद मोहम्मद अनस और प्रियंका सेन जैसे लोगो ने संकल्प लिया कि हर बच्चे तक उनका अधिकार और सरकार की योजनाएं पहुचे इसी को देखते हुए कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगो ने ज़िम्मेदारी ली। बाल दिवस के अवसर पर हम सब को मिलकर बाल अधिकारों के प्रति जागरुकता फैलानी चाहिए।
इसके अलावा हम सभी चाचा नेहरू के विचारों को जीवन में उतारने का संकल्प भी लेना चाहिए। उनके उन्मुक्त विचार और निडर नेतृत्व से हमें काफी सीख मिलती है। एक राजनेता के तौर पर नेहरू जी का सबसे बड़ा काम भारतीय राजनीतिक प्रणाली में लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास करना और भारत में लोकतंत्र को खड़ा करना था। नेहरू संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत और व्यवहार के प्रबल समर्थक थे। वे कहते थे कि नागरिकता देश की सेवा में निहित है। अज्ञानता हमेशा बदलाव से डरती है। उनका मानना था कि असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य और सिद्धांत भूल जाते हैं।

कार्यक्रम के अंत मे बच्चों को और संस्था के समस्त कर्मचारियों को बच्चों के साथ सेवाभाव से कार्य करने के लिए अतिथियों द्वारा प्रमोद कुमार, अविनाश तिवारी,शैलेश,भगवानदीन ,तृप्ति चौधरी को सम्मानित किया गया।
बच्चों के इस कार्यक्रम में क्षेत्र के कई सम्मानित लोग सम्मलित हुए जिससे बच्चों में नई उमंग व उत्साह देखने को मिला।