प्राइवेट स्कूलों की जनता से लूट घसोट जारी, जिम्मेदार मौन

उत्तर प्रदेश लखनऊ
  • सरोजनीनगर क्षेत्र में कुछ निजी स्कूल मानकों को ताख पर चला रहे हैं स्कूल
  • आम जनता की जेब हो रही ढीली, जिम्मेदारो ने साधी चुप्पी

शकील अहमद

सरोजनीनगर, लखनऊ । उत्तर प्रदेश योगी सरकार जहां शिक्षा को बेहतर प्रणाली और निशुल्क शिक्षा देने पर ध्यान दे रही है, वही अभी भी राजधानी लखनऊ का बुरा हाल है , इसी क्रम में सरोजनीनगर नगर क्षेत्र में कुछ निजी स्कूल मानकों को ताख पर रखकर स्कूल नही अपनी दुकान चला रहे और फलफूल रहे है।

यही नहीं सुबह-सुबह आसपास के आबादी के बीच ध्वनि प्रदूषण कर रहे है। सूत्रों द्वारा मालूम हो रहा कि कुछ निजी स्कूलों में तो विद्यार्थियों की जनसंख्या के अनुसार सुविधाएं नहीं है, और न ही अनुकूल वातावरण। आए दिन निजी स्कूल मनमानी तरीके से प्रत्येक वर्ष फीस अतिरिक्त चार्जेस के नाम पर बढ़ा रहे है। कुछ निजी स्कूल किसी न किसी तरीके से जनता को आधुनिक शिक्षा के नाम पर ठग रहें है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि आए दिन कार्यक्रम के दौरान ध्वनि प्रदूषण कर रहे है , ट्रैफिक को अनावश्यक परेशान किया जाता है।

जिस वजह से आसपास जनता की नींद हराम हो जाती है। प्रत्येक वर्ष फीस में हो रही है बढ़ोतरी। आपको बता दे कि 2014 में सरकार में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी वा मुख्यमंत्री योगी ने वादा किया था की पुराने और अनावश्यक कानूनों को खत्म करेंगे, नए जमाने के अनुसार कानून बनेंगे और उनकी समीक्षा होगी। नई शिक्षा पद्धति लाकर इस दिशा में काम किया गया है पर प्राइवेट स्कूल माफिया से बचने के रास्ता नही बना।

आज भारत में सीबीएसई, आईसीएसई, यूपीबोर्ड, और एनआईओएस जैसे तीन केंद्रीय बोर्ड और 33 राज्य स्तरीय बोर्ड है। जो अपना अलग अलग कोर्स और पैटर्न रखते है जिनका फायदा स्कूल उठा रहें है 1 सितंबर 1961 को एनसीआरटी की स्थापना हुई जोकि पूरे देश में समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए काम कर रहा है पर भाषा, प्रदेश आदि का बहाना बनाकर ये स्कूल एनसीआरटी को निष्प्रभावी बनाने में लगे है।

जब समान शिक्षा लागू होगी तब होगी पर तब तक सरकार फीस वृद्धि और किताबो की लूट पर कोई प्रभावी कानून या रेगुलेटरी अथॉरिटी तो बना ही सकती है ताकि आम अभिवावक की सरे आम लूट और जीएसटी , इनकम टैक्स की चोरी को रोका जा सके वा भ्रष्टाचार पर लगाम लगे। आखिर कब तक योगी सरकार निजी स्कूलों पर लगाम कर पाएगी, शिक्षा विभाग के अधिकारियो को जानकारी होते हुए भी उचित कार्यवाही करने से कतरा रहें है।