शक्तिनगर(सोनभद्र)। रंगमंच की अग्रणी संस्था समूहन कला संस्थान की दो नाट्य प्रस्तुतियो का समारोह एनटीपीसी सिंगरौली द्वारा हिन्दी पखवाड़़ा के अन्तर्गत गत संध्या आरम्भ हुआ। समारोह के प्रथम दिन फणीश्वरनाथ ‘रेणू’ की प्रसिद्ध कहानी ‘‘पंचलाइट’’ पर आधारित नाट्य प्रस्तुति का सफल मंचन प्रतिष्ठित निर्देशक राजकुमार शाह के निर्देशन में हुआ।
इस अवसर पर एनटीपीसी सिंगरौली के कार्यकारी निदेशक एवं परियोजना प्रमुख संदीप नायक ने अपने संबोधन में समूहन कला संस्थान के नाटक को मार्मिक एवं संवेदनशील बताते हुए कहा कि नाटक मानवीय मूल्यों को प्रदर्शित करती है एवं सामाजिक एकजुटता पर बल देती है।
आज के समाज में इस नाटक की सार्थकता और बढ़ गई है जिसे कलाकारों ने अपनी जीवंत भूमिका से प्रांसगिक बना दिया।परियोजना प्रमुख के साथ अध्यक्षा वनिता समाज श्रीमती प्रज्ञा नायक एवं गणमान्य अधिकारीगण पीयूष श्रीवास्तव, महाप्रबंधक (रसायन), सी एच किशोर कुमार, महाप्रबंधक (अनुरक्षण) एवं अन्य अतिथिगण ने सुयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन करके किया।
डाॅ0 ओमप्रकाश, उप महाप्रबंधक (मानव संसाधन- राजभाषा) ने कुशल संचालन करते हुए आगत अतिथियों के प्रति अभिनन्दन ज्ञापित किया। फणीश्वरनाथ ‘रेणू’ की प्रसिद्ध कहानी ‘‘पंचलाइट’’ पर आधारित यह नाटक ग्रामीण जीवन की विड़बनाओं और सामूहिक जीवन की आपसी संघर्ष और एकता को बेहद सरल और हास्यपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करता है।
कहानी की पृष्ठभूमि एक ऐसे गाँव की है, जहाँ एक लंबे इंतजार के बाद गाँव के सामूहिक सहयोग से महतो टोली में पहली बार पेट्रोमेक्स लाई जाती है। पेट्रोमेक्स, जिसे ग्रामीण पंचलाइट कहते हैं। यह पंचलाइट उनके लिए एक ओर जहाँ प्रगति का प्रतीक है तो वहीं दूसरी ओर सम्मान और स्वाभिमान का सूचक भी, लेकिन विडंबना यह है कि टोले के किसी भी व्यक्ति में इसे जलाने की योग्यता नहीं है।
यही बात अन्य टोले के लोगों के लिए हँसी का कारण बन जाती है और महतो टोली वाले उपहास का पात्र बनते हैं। इस पंचलाइट को जलाने की कला जानता है केवल एक युवक – गोधन। किंतु महतो टोली ने उसे गाँव बिरादरी से बाहर कर रखा है, क्योंकि वह उसी गाँव की एक लड़की मुनरी से प्रेम करता है।
गोधन इस गाँव में बाहर से आकर बसा है और कोई अन्य बाहरी युवक मुनरी से प्रेम करे ये उन्हें स्वीकार नहीं था। इसी कारण उसे अपमानित और बहिष्कृत कर दिया गया, परंतु परिस्थिति ऐसी आती है कि जब पंचलाइट जलाने का अवसर आता है, तो टोली को उसी गोधन की शरण में जाना पड़ता है, जिसे उन्होंने तिरस्कृत कर दिया था।
मंच पर अभिनय करने वाले कलाकारों में अक्षत कुमार ने गोधन, राजन कुमार झा नें कथावाचक, श्रेयसी सिन्हा ने गुलरी काकी, अभिषेक विश्वकर्मा ने सरपंच की भूमिका बखूबी अदा की। प्रभात कुमार ग्रामवासी, आलोक कुमार गुप्ता बटेसर, आकाश पाण्डेय पंच ने भी प्रभावित किया।
मुनरी की भूमिका में मनी अवस्थी ने एक कुशल अभिनेत्री की संभावनाओं को सार्थक किया तो वहीं संगीत पक्ष में पवन पाठक ने हारमोनियम वादन, गौरव शर्मा ने रिदम वादन, वैभव बिन्दुसार ने कोरस गायन और रवि प्रकाश सिंह के कला पक्ष ने नाटक को ठोस धरातल प्रदान किया।
वेषभूषा राजन कुमार झा, मंच सामग्री आलोक कुमार गुप्ता, आकाश पाण्डेय, रूपसज्जा मनी अवस्थी, श्रेयसी सिन्हा मंच प्रबंधन प्रभात कुमार, आकाश पाण्डेय एवं अन्य सभी कलाकार ने प्रस्तुति को गति प्रदान की। राजकुमार शाह ने अपने निर्देशन से संवेदनशीलता और प्रयोगधर्मिता का प्रभावशाली दृश्य प्रस्तुत किया। मूल कहानी फणीश्वरनाथ रेणू की थी जिसका नाट्य रूपांतरण रंजीत कपूर ने किया है।
गीत वैभव बिंदुसार, रविप्रकाश सिंह, संगीत निर्देशन कुमार अभिषेक, प्रकाश संयोजन मो0 हफीज़ ने नाटक को सार्थक परिवेश दिया। अंततः नाटक हास्य और व्यंग के माध्यम से बहुत ही स्पष्ट संदेश देता है कि जब समाज मानवीय मूल्यों और वैचारिक दृष्टिकोण को छोड़कर दिखावे की प्रतिष्ठा और खोखले सम्मान के आवरण तले खुद को संकुचित कर लेता है तो वो अपने ही योग्य और सक्षम व्यक्तियों को खो देता है।
वास्तविक प्रगति तभी संभव है जब समाज के हर स्तर और वर्ग के लोगों की मानवीय भावनाओं को समझा जाए। ‘‘पंचलाइट’’ केवल एक पेट्रोमेक्स नहीं है, बल्कि प्रकाश, आशा, प्रगति और सामूहिक जीवन का प्रतीक है। जिसकी रोशनी सामाजिक सहयोग, भावनात्मक लगाव तथा सभी के प्रयासों की कद्र करने से फैलती है।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में एनटीपीसी सिंगरौली के कर्मचारी और उनके परिवारजन, शिक्षक एवं सी आई एस एफ के प्रतिनिधि उपस्थित रहें और नाट्य प्रस्तुति की भूरि-भूरि प्रशंसा की। समारोह के दूसरे दिन मणि मधुकर कृत ‘किस्सा दुलारी बाई का’ का मंचन रोज़ी मिश्रा के निर्देशन में होगा।