कहानी की शुरुआत एक अंधेरी रात से होती है। यह वो रात थी, जब हर कोई अपने-अपने घरों में दुबका हुआ था। गाँव के बीचोंबीच एक पुराना और वीरान मकान खड़ा था, जिसे लोग ‘भूतिया हवेली’ के नाम से जानते थे। कहा जाता था कि उस हवेली में कोई एक बार चला जाए, तो वापस नहीं लौटता। इस रहस्य को अब तक कोई नहीं सुलझा पाया था।
विजय, एक जासूस, जिसने हाल ही में कई पेचीदा केस हल किए थे, उसी गाँव में आया था। उसे इस भूतिया हवेली के बारे में सुनकर गहरा शक हुआ। वह किसी भी तरह इस हवेली के रहस्य को जानने के लिए बेचैन हो गया। लेकिन विजय ने ठान लिया कि वह अपने डर को पीछे छोड़कर इस गुत्थी को सुलझाएगा।
उस रात, विजय ने अकेले ही हवेली में जाने का फैसला किया। गाँव वालों ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन विजय नहीं माना। हवेली के बाहर पहुँचते ही उसे एक अजीब सा अहसास हुआ, जैसे कोई उसे देख रहा हो। हवेली की दरवाजा ज़ोर से चिरचिरा उठा, मानो कई सालों से उसे कोई नहीं खोला था। विजय ने जब दरवाजा खोला तो हवेली के अंदर एक डरावना सन्नाटा पसरा हुआ था। हर कदम के साथ उसके पैर नीचे रखी धूल को उड़ा रहे थे।
जैसे ही विजय अंदर गया, उसे एक हल्की सी सिसकी सुनाई दी। उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई। “ये कैसी आवाज़ है?” उसने खुद से पूछा। अचानक, हवेली की दीवारों पर लगी तस्वीरें हिलने लगीं, मानो उन पर बैठे लोग उसे देख रहे हों। लेकिन विजय ने अपने डर को दरकिनार किया और आगे बढ़ा।
अचानक, उसे हवेली के एक कोने में एक कांच की खिड़की से रोशनी झलकती दिखी। वह धीरे-धीरे उस तरफ बढ़ने लगा। जैसे ही उसने खिड़की के पास पहुँचा, उसे लगा कि उसने किसी की परछाई देखी। विजय ने उस परछाई का पीछा किया और एक बड़े हॉल में पहुँचा। उस हॉल में कई सारे पुराने फर्नीचर बिखरे हुए थे और दीवारों पर कई अजीबोगरीब चित्र बने हुए थे।
विजय ने हॉल में एक पुरानी अलमारी देखी। उसके अंदर कुछ दस्तावेज़ रखे हुए थे, जिन पर धूल जमी हुई थी। उसने उनमें से एक कागज़ उठाया और पढ़ने लगा। वह कागज़ एक पुराने अपराध की कहानी बता रहा था।
कहानी कुछ इस प्रकार थी – “सालों पहले, इस हवेली के मालिक, ठाकुर रणवीर सिंह, का परिवार यहाँ रहता था। लेकिन एक रात, पूरे परिवार को किसी ने निर्दयता से मार डाला था। कहा जाता है कि हवेली में उनकी आत्माएँ आज भी भटकती हैं। कोई नहीं जानता कि वह रहस्यमय रात क्या हुआ था, परंतु गाँव वाले मानते हैं कि उन हत्याओं के पीछे किसी आत्मा का हाथ था।”
विजय ने यह पढ़ते ही महसूस किया कि हवेली में कुछ गलत हो रहा था। तभी उसे एक और दस्तावेज़ मिला। उसमें लिखा था – “अगर कोई इस हवेली के अंदर आता है, तो वह इसे कभी जीवित नहीं छोड़ पाएगा।” विजय ने तुरंत उस दस्तावेज़ को वापस अलमारी में रखा और वहां से निकलने का फैसला किया।
जैसे ही वह दरवाजे की ओर बढ़ा, अचानक हवेली के सभी दरवाजे अपने आप बंद हो गए। अब विजय के पास कोई रास्ता नहीं था। उसने अपने मोबाइल फोन से गाँव के सरपंच को फोन करने की कोशिश की, लेकिन वहां कोई नेटवर्क नहीं था। हवेली के अंदर उसकी घबराहट बढ़ती जा रही थी, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी।
उसने सोचा कि शायद छत पर कोई रास्ता हो सकता है। वह हवेली की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। सीढ़ियाँ बहुत पुरानी और कमजोर थीं, और हर कदम पर वे चरमराने लगती थीं। जब वह छत के पास पहुंचा, तो उसने देखा कि वहां एक छोटा सा दरवाजा था। विजय ने दरवाजे को खोला और छत पर चला गया।
छत पर पहुँचते ही उसने देखा कि वहां एक पुरानी कुर्सी रखी हुई थी, और उसके पास एक बूढ़ी औरत बैठी थी। उसकी पीठ विजय की ओर थी, और वह कुछ बड़बड़ा रही थी। विजय के रोंगटे खड़े हो गए। उसने धीरे से उस औरत को आवाज़ दी, “कौन हो तुम?”
औरत ने धीरे-धीरे अपनी गर्दन घुमाई और उसकी आँखों में विजय को देखा। उसकी आँखें खाली और डरावनी थीं। विजय पीछे हटने लगा, लेकिन तभी औरत ने कहा, “तुम यहाँ क्यों आए हो? ये जगह तुम्हारे लिए नहीं है।”
विजय ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम कौन हो और इस हवेली में क्या हो रहा है?”
औरत ने ठंडी आवाज़ में जवाब दिया, “मैं वही हूँ जो इस हवेली की रक्षा कर रही हूँ। कई साल पहले यहाँ बहुत बड़ा अन्याय हुआ था, और तब से ये हवेली श्रापित हो गई है। कोई भी यहाँ आता है, उसे अपनी जान गवानी पड़ती है।”
विजय के दिल में डर और जिज्ञासा दोनों थी। उसने पूछा, “क्या हुआ था उस रात? कौन जिम्मेदार था उन हत्याओं के लिए?”
औरत ने एक गहरी सांस ली और बताया, “ठाकुर रणवीर सिंह का परिवार एक साधारण परिवार नहीं था। उन्होंने इस गाँव के गरीबों का शोषण किया था, और उन पर अत्याचार किए थे। जिस रात वह मरे, उस रात गाँव के कुछ लोग उनसे बदला लेने आए थे। लेकिन जब वह परिवार मारा गया, तब से उन आत्माओं का क्रोध इस हवेली में बंद है। जो भी यहाँ आता है, वह उन आत्माओं के गुस्से का शिकार बनता है।”
विजय को अब समझ में आ गया था कि इस हवेली का रहस्य सिर्फ आत्माओं का नहीं, बल्कि एक पुराने अन्याय का था। तभी हवेली के अंदर एक भयंकर आवाज़ गूंजने लगी। हवेली की दीवारें हिलने लगीं, और विजय ने देखा कि नीचे फर्श में दरारें पड़ने लगीं। हवेली अब टूटने के कगार पर थी।
विजय ने तुरंत वहां से भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजे बंद थे। तभी उस बूढ़ी औरत ने उसे कहा, “अगर तुम इस श्राप से बचना चाहते हो, तो तुम्हें एक काम करना होगा। तुम्हें इस हवेली के नीचे दबी हुई सच्चाई को बाहर लाना होगा।”
विजय ने पूछा, “कैसे?”
औरत ने कहा, “हवेली के तहखाने में एक गुप्त कमरा है। वहां वो सबूत छिपे हुए हैं, जो ठाकुर के अत्याचारों को साबित करेंगे। अगर तुम उन्हें बाहर ला सकते हो, तो शायद इस श्राप से छुटकारा मिल सकता है।”
विजय ने हिम्मत जुटाकर तहखाने की ओर जाने का फैसला किया। जब वह तहखाने में पहुंचा, तो उसने देखा कि वहां एक छोटा सा कमरा था, जिसमें कई दस्तावेज़ और पुराने सामान रखे हुए थे। उसने उन दस्तावेज़ों को पढ़ा और जाना कि ठाकुर ने कैसे गाँव के लोगों पर अत्याचार किया था, और कैसे उन्होंने लोगों की जमीनें हड़प ली थीं।
विजय ने उन सबूतों को अपने पास रखा और जैसे ही वह कमरे से बाहर आया, हवेली की दीवारें अचानक शांत हो गईं। हवेली अब स्थिर थी, मानो वहां का श्राप टूट चुका हो। विजय ने जल्दी से गाँव के सरपंच को बुलाया और उन दस्तावेज़ों को उनके हवाले कर दिया।
गाँव वालों ने जब ये सच्चाई सुनी, तो उन्होंने उस हवेली को पूरी तरह से ध्वस्त करने का फैसला किया। विजय ने एक बड़ा रहस्य सुलझा लिया था, और वह सुरक्षित गाँव वापस लौट आया।
लेकिन हवेली का रहस्य कभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। कहते हैं, रात के अंधेरे में अभी भी वहाँ से कुछ सिसकियाँ सुनाई देती हैं।
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