- हाइवे पर डग्गामार वाहनों में कार ,अवैध टैक्सियां और बसे है शामिल
- शहीद पथ व अमौसी एयरपोर्ट के आसपास बना डग्गामार वाहनों का अड्डा
- उन्नाव और कानपुर के लिए भर रहे हैं खुलेआम डग्गामार वाहन सवारी
- सूत्र बताते है कि तथाकथित पत्रकार और ट्रैफिक पुलिस ने ले रखा ठेका
सरोजनीनगर, लखनऊ । उत्तर प्रदेश योगी सरकार जहां ट्रैफिक व्यवस्था को चुस्त करने के लिए नई तकनीक और नियम कानून लागू कर रही हैं , वही अभी भी राजधानी लखनऊ के पुलिस ट्रैफिक का बुरा हाल है। ऐसे ही काफी ट्रैफिक की शिकायते मिल रही है। राजधानी लखनऊ के लखनऊ कानपुर हाईवे पर आजकल उन्नाव और कानपुर के लिए आय दिन रात डग्गामार वाहन खुलेआम सवारी भरते हुए दिखाई दे रहे है।
खास तौर पर शहीद पथ चौराहा, अमौसी एयरपोर्ट और नादरगंज के आसपास बना डग्गामार वाहनों का अड्डा। लगता है तथाकथित पत्रकार और ट्रैफिक पुलिस ने डागामार वाहनों का ठेका ले लिया गया हो। नादरगंज चौराहे की बात करें या फिर शहीद पथ पर बने ट्रैफिक पुलिस बूथ वहीं पर अवैध तरीके से बाहर बड़ी संख्या में अवैध रूप से गाड़ियां खड़ी रहती हैं । उन्नाव कानपुर के लिए आय दिन रात खुलेआम डग्गामार वाहन सवारी भरकर जाती है।
सूत्रों द्वारा मालूम कि बंथरा थाना क्षेत्र के प्रसिद्ध जुनाबगंज तिराहे की ट्रैफिक पुलिस कर्मियों के हाथ में मोबाइल दिखता है और बाहर की गाड़ियों को देखकर उनकी फोटो खींच लेते हैं, फिर बनता है बूथ के अंदर बुलाने का दबाव।बेबस लाचार वाहन चालक पहुंचता है। बूथ के अंदर फिर शुरू होता है।
उसके गुनाहों का हिसाब बाहर के बाहर चालक ने लखनऊ में गाड़ी लाकर की बहुत बड़ी गलती वाहन चालक पर इतने सवाल जवाब किए जाते हैं कि थक हार कर मामला सुविधा शुल्क पर आ जाता है , लखनऊ के ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को नसीहत चाहे जितनी मिले मगर उनके व्यवहार में कोई फर्क नहीं पड़ता। नाम न छापने की शर्त पर ट्रैफिक पुलिस के जवान ने बताया की चौकी चलाने के लिए अच्छा खर्चा देना पड़ता है, कुछ तथा कथित पत्रकार है जो ट्रैफिक चौकी के ठेकेदार बने हुए हैं ।
जो पत्रकारों को खबर ना लिखने के लिए दबाव बनाते हैं, जिसमें कुछ चाटुकार पत्रकार है जो ट्रैफिक बूथ पर बैठकर अपनी महानता और ट्रैफिक कर्मियों के मसीहा बनने के बड़े-बड़े दावे करते हैं। इन लोगों के भरोसे ही ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की हो रही फजीहत। क्या ट्रेफिक पुलिस अधिकारी उच्च अधिकारी इन समस्याओं को संज्ञान में लेंगे, या यू ही लीपापोती चलता रहेगा। जब संबंधित अधिकारी से पूछा जाता है तो अपना पल्ला झाड़ कर निकल लेते है । आखिर कैसे ट्रैफिक पुलिस अपनी बखूबी ड्यूटी निभायेगी, या कमाने में लगी रहेगी, ये सवाल बार बार उठता रहेगा।